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23 October 2015

साहित्य अकादमी चाहती है लेखकों की ‘घर वापसी’

संजय रावत

लेखकों को 23 अक्टूबर का विशेष इंतजार था। लेखकों पर दिन ब दिन बढ़ रही हिंसा के विरोध में उतरे लेखकों के आंदोलन पर आज साहित्य अकादमी भवन में बैठक होनी थी। आज की बैठक में अकादमी भी लेखकों के साथ खड़ी हुई। अकादमी ने लेखकों से अनुरोध किया कि वे बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ लौटाए गए अपने पुरस्कारों वापस ले लें। साथ ही अन्य साहित्यिक इकाईयों से इस्तीफा देने वाले सदस्यों से भी इस्तीफे वापस लेने की भी अपील की।

लगभग दो घंटे की बैठक के बाद कार्यकारी समिति बोर्ड सदस्य कृष्णास्वामी नचिमुतू ने कहा, अकादमी कलबुर्गी की हत्या की कड़ी निंदा करती है और राज्य सरकारों तथा केंद्र सरकार से भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कदम उठाने की अपील करती है।

बैठक में के. सच्चिदानंदन शामिल नहीं हुए। उन्होंने यह कहते हुए साहित्य अकादमी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था कि अकादमी लेखकों के साथ खड़े होने का अपना दायित्व निभाने और संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बरकरार रखने में विफल रही है।

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नचिमुतू ने बढ़ती असहिष्णुता की निंदा करने की लेखकों की मांग पर कहा, हां हमने उसका भी समाधान किया है। जल्द ही विस्तृत बातें सभी के सामने रखी जाएंगी। अकादमी की बोर्ड बैठक 17 दिसंबर को होगी जिसमें पुरस्कार लौटाने से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा होगी।

अभी तक उदय प्रकाश, नयनतारा सहगल, अशोक वाजपेयी, केकी एन दारूवाला, के. वीरभद्रप्पा सहित कम से कम 35 लेखक अपने अकादमी पुरस्कार लौटा चुके हैं और पांच लेखकों ने साहित्यिक इकाई के अपने आधिकारिक पदों से इस्तीफा दे दिया था। 

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TAGS: sahitya akademi, viswanaath prasad tiwari, साहित्य अकादमी, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी
OUTLOOK 23 October, 2015
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