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24 August 2016

राष्ट्र द्रोह बनाम राष्ट्र प्रेम

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लेकिन 1951 में ही पं. जवाहरलाल नेहरू ने सार्वजनिक रूप से इस कड़े कानून पर असहमति व्यक्त कर दी थी। तबसे अब तक ब्रिटिश राज से प्रेरित कुछ अन्य काले कानूनों के साथ राष्ट्रद्रोह कानून की समीक्षा एवं आवश्यक संशोधनों की बात उठती रही है। हाल के महीनों में इस कानून के आधार पर जल्दबाजी में कार्रवाई से यह अधिक विवादास्पद हो गया है। अब कन्नड़ अभिनेत्री राम्या की पाकिस्तान के संबंध में की गई छोटी सी टिप्पणी पर इसी कानून की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज होने से स्थिति गंभीर दिखने लगी है। राम्या ने इतना ही कहा था कि ‘पाकिस्तान नरक नहीं है।’ इससे कुछ दिन पहले देश के रक्षा मंत्री पर्रिकर आतंकवाद के संदर्भ में पाकिस्तान को नरक बता चुके थे। उनकी टिप्पणी एक व्यापक संदर्भ में थी और राम्या की टिप्पणी भी पाकिस्तान की हाल की यात्रा के संदर्भ में पाकिस्तानी जनता के  सद‍्व्यवहार और भारत के प्रति दिखने वाले स्नेहिल सम्मान के संदर्भ में रही है। उन्होंने टी.वी. चैनलों पर विस्तार से बताया भी और इसी कारण साफ कहा कि वह इस मामले में माफी मांगकर टिप्पणी वापस नहीं लेंगी। मजेदार बात यह है कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की ही सरकार है और राम्या अभिनेत्री होने के साथ पार्टी से भी जुड़ी हुई है। प्रतिपक्ष की भारतीय जनता पार्टी और विद्यार्थी परिषद ने इसी कारण टिप्पणी को राजनीतिक मुद्दा बना दिया और देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग कर दी है। भाजपा या अन्य पार्टियों के कई नेता लगातार पाकिस्तान जाकर वहां के नेताओं और जनता की सरहाना करते रहे हैं। निश्चित रूप से पाकिस्तान की सेना का एक बड़ा वर्ग और आई.एस.आई. भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ाते रहे हैं। लेकिन अधिकांश जनता भारतीयों के प्रति अच्छा संबंध रखना चाहती है। नेहरू ही नहीं इंदिरा-राजीव-राव से अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी तक भुट‍्टो, जियाउल हक, नवाज शरीफ, जनरल मुशर्रफ से वार्ताओं के बाद पाकिस्तान को अपने नजदीकी पड़ोसी के रूप में प्रशंसा करते रहे हैं और संबंधों को बढ़ाने का संकल्प व्यक्त करते रहे हैं। यदि आप राम्या के बयान को गंभीर अपराध कहेंगे, तो अगले दिनों में विदेश ‌सचिव जयशंकर या अन्य नेता पाक जाएंगे, तो वहां क्या उसे नरक बताकर भर्त्सना करेंगे और नहीं करेंगे, तो क्या राष्ट्र द्रोही हो जाएंगे? कानून के दुरुपयोग की कोशिश से जगहंसाई ही हो सकती है। माओवादी राष्ट्र द्रोही हों या आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी समूह या व्यक्ति पर राष्ट्र द्रोह कानून में कार्रवाई अवश्य होनी चाहिए, लेकिन पाक, चीन, अमेरिका या रूस की थोड़ी प्रशंसा करने का मतलब यह नहीं हो सकता कि उसे भारत राष्ट्र से प्रेम नहीं है। सच तो यह है कि परदेसियों की प्रशंसा कर उनसे संबंध सुधारने में सहयोग देना असल राष्ट्र प्रेम है।

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TAGS: राम्या, राष्ट्रद्रोह, कानून, पाकिस्तान, नरक, जवाहरलाल नेहरू, आलोक मेहता, ब्रिटिश राज
OUTLOOK 24 August, 2016
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