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05 November 2016

ओआरओपी में केवल पांच प्रतिशत पूर्व सैन्यकर्मियों को दिक्क्त : पर्रिकर

गूगल

रक्षा मंत्री की यह टिप्प्णी ऐसे समय में आई है जबकि कथित रूप से ओआरओपी मुद्दे को लेकर एक पूर्व सैन्यकर्मी की आत्महत्या पर विवाद छिड़ गया है तथा भाजपा एवं कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के बीच वाकयुद्ध चल रहा है।

पर्रिकर ने पणजी में संवाददाताओं से कहा, एक रैंक एक पेंशन लागू होने के बाद 95 प्रतिशत से अधिक लोग बढ़ी पेंशन से लाभ पा रहे हैं। केवल 4-5 प्रतिशत हैं जिन्हें उनकी पेंशन (ओआरओपी के अनुसार) मिलने में दिक्कत हो रही है।

उन्होंने कहा, इनमें से अधिकतर 1962 एवं 1971 का युद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिकों सहित पुराने सैन्यकर्मी हैं जिनके रिकार्ड नहीं मिल रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, चूंकि उनके रिकार्ड पुराने हैं, पेंशन विभाग के पास वे नहीं हैं। पेंशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण रिकार्ड पूर्व सैन्यकर्मियों की सेवा के वर्ष होते हैं। वे उपलब्ध नहीं हैं। वे पुराने पेंशनभोगी हैं। कई मामलों में उनके परिवार को पेंशन मिल रही है।

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पर्रिकर ने कहा कि उन्होंने संबद्ध अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए हैं कि वे एक माह में रिकार्ड प्राप्त करें और यदि जरूरी हो तो वे उनसे (लाभार्थी से) हलफनामा देने को कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों के समक्ष जो समस्या आ रही है उसे दो माह में हल कर लिया जाएगा तथा पेंशन मुद्दे को लेकर उनमें कोई असंतोष नहीं रहेगा।

रक्षा मंत्री ने कहा, मेरी पूर्व सैन्यकर्मियों के संघ के साथ बैठक हुई थी जिसमें उन्होंने कहा कि वे (ओआरओपी) क्रियान्वयन को लेकर खुश हैं। सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, केवल वे पूर्वसैन्यकर्मी जो राजनीति में आ गए, वे अब राजनीतिक लोगों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। (एजेंसी)

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TAGS: मनोहर पर्रिकर, ओआरओपी, सैन्यकर्मी, राजनीति, पुराने रिकॉर्ड, पेंशन, परेशानी
OUTLOOK 05 November, 2016
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