Advertisement
30 March 2017

अब 11 मई को संवैधानिक पीठ में होगी तीन तलाक मामले की सुनावई

google

कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ मई के महीने में करेगी। अदालत तीन तलाक के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। अदालत ने जोर देकर कहा कि यह मसला बहुत गंभीर है और इसे टाला नहीं जा सकता। सुनवाई के दौरान तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने कुछ सवाल रखे। केंद्र के अलावा कुछ और पक्षों के भी सवाल आए, जिस पर कोर्ट ने सभी संबधित पक्षों से कहा है कि वे 30 मार्च तक लिखित में अपनी बात अटॉर्नी जनरल के पास जमा करा दें।

सुनवाई के दौरान आज चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि इस मामले में सिर्फ कानूनी पहलुओं पर ही सुनवाई होगी। सभी पक्षों के एक-एक शब्द पर अदालत गौर करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत कानून से अलग नहीं जा सकती। 11 मई से गर्मियों की छुट्टियों में मामले पर सुनवाई शुरू होगी। उसके पहले अदालत 30 मार्च को तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह प्रथा के संबंध में विचार के लिए मुद्दे तय करेगी।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से आज इन मामलों पर चार सवाल भी रखे गए। पहला ये कि धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत तीन तलाक, हलाला और बहु-विवाह की इजाजत संविधान के तहत दी जा सकती है या नहीं ?

Advertisement

दूसरा ये कि समानता का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार में प्राथमिकता किसको दी जाए? तीसरे प्रश्न में केंद्र ने पूछा कि पर्सनल लॉ को संविधान के अनुछेद 13 के तहत कानून माना जाएगा या नहीं?

वहीं, चौथे और आखिरी प्रश्न ये था कि क्या तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु-विवाह उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत सही है, जिस पर भारत ने भी दस्तखत किये हैं?

गौरतलब है कि इससे पहले 27 मार्च को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह की प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारयोग्य नहीं हैं क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे में नहीं आते हैं।

बोर्ड ने कहा कि इस्लामी कानून, जिसकी बुनियाद अनिवार्य तौर पर पवित्र कुरान एवं उस पर आधारित सूत्रों पर पड़ी है, की वैधता संविधान के खास प्रावधानों पर परखी नहीं जा सकती है। इनकी संवैधानिक व्याख्या जब तक अपरिहार्य न हो जाए तब तक उसकी दिशा में आगे बढऩे से न्यायिक संयम बरतने की जरूरत है। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: सुप्रीम कोर्ट, संवैधानिक पीठ, 11 मई, सुनावई, Supreme court, May 11, constitutional bench, 'Triple Talaq' cases
OUTLOOK 30 March, 2017
Advertisement