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30 July 2018

बंगालियों, बिहारियों को असम से भगाने की साजिशः ममता बनर्जी

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आश्वासन के बावजूद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट पर जारी सियासी घमासान थमता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस और टीएमसी ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक कारणों से करीब 40 लाख लोगों को ड्राफ्ट से बाहर रखने का आरोप लगाया है। टीएमसी की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे बंगालियों और बिहारियों को असम से भगाने की साजिश करार दिया है।

ममता ने कहा, “एक गेमप्लान के तहत लोगों को अलग थलग किया जा रहा है। हमें चिंता इस बात की है कि लोग अपने ही देश में रिफ्यूजी बनाए जा रहे हैं। बंगाली बोलने वालों और बिहारियों को असम से हटाने की कोशिश हो रही है। इसका असर हमारे प्रदेश पर भी पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे हैं जिनका आधार कार्ड और पासपोर्ट दोनों है, लेकिन उनका नाम भी एनआरसी में नहीं है। उपनाम देखकर लोगों के नाम हटाए गए हैं। ममता ने कहा कि 40 लाख लोग जिन्हें ड्राफ्ट से बाहर किया गया है, वे कहां जाएंगे?

टीएमसी सुप्रीमो ने केंद्र सरकार पर बंगालियों से भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि असम में रहनेवाले बांग्लाभाषी लोगों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है। असम में रहनेवाले बांग्लाभाषी रोहिंग्या नहीं हैं। वे भारतीय ही हैं, फिर भी केंद्र उन्हें निशाना बना रही है। उन्होंने इसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए केंद्र से राजनीति से बाज आने को कहा है। 

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गौरतलब है कि सोमवार को जारी एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में असम में रह रहे कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.90 करोड़ नागरिकों के ही नाम हैं। ड्राफ्ट जारी होने के बाद असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसे ऐतिहासिक बताया। हालांकि संसद और उसके बाहर सियासी बवाल शुरू होने के बाद राजनाथ सिंह ने मामले को ठंडा करने की कोशिश करते हुए कहा कि इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ड्राफ्ट तैयार हुआ है और विपक्ष को ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि जिनका नाम इस सूची में नहीं है, वे प्रवासी ट्रिब्यूनल में संपर्क कर सकते हैं। किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी, इसलिए डरने की जरूरत नहीं है।

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TAGS: एनआरसी, असम, ममता बनर्जी, बंगाली, बिहारी, NRC, Assam, Mamata Banerjee, Bengali, bihari
OUTLOOK 30 July, 2018
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