Advertisement
31 December 2016

मिशनरियों में हिंदुओं का धर्म बदलने की ताकत नहीं: भागवत

google

भागवत ने हिंदू एकता पर जोर दिया और जाति एवं भाषा से परे जाकर समुदाय के सदस्यों से साथ आने की अपील की।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप में लोगों को ईसाई धर्म में लाने के बाद वे मिशनरी एशिया पर नजर गड़ाए हुए हैं। चीन खुद को धर्मनिरपेक्ष कहता है, लेकिन क्या वह खुद को ईसाई धर्म के तहत आने देगा ? नहीं। क्या पश्चिम एशियाई देश ऐसा होने देंगे? नहीं। वे अब सोचते हैं कि भारत ही ऐसी जगह है।

भागवत ने कहा, लेकिन अब उन्हें समझ लेना चाहिए कि 300 साल से ज्यादा समय से जोरदार कोशिशें करने के बाद भी सिर्फ छह फीसदी भारतीय आबादी ईसाई बन सकी है। क्योंकि उनमें ताकत नहीं है।

Advertisement

जिले के वंसदा में भारत सेवाश्रम संघ की ओर से आयोजित विराट हिंदू सम्मेलन के समापन संबोधन में भागवत ने ये बातें कही। भागवत ने अपनी बात को सही ठहराने के लिए कहा कि अमेरिका का एक गिरजाघर और ब्रिटेन का एक गिरजाघर क्रमश: गणेश मंदिर और विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के एक हिंदू व्यापारी ने यह काम किया।

उन्होंने कहा, उनके अपने देशों में मिशनरियों की यह हालत है और वे हमें बदलना चाहते हैं। वे ऐसा नहीं कर सकते, उनमें इतनी ताकत नहीं है।

भागवत ने हिंदुओं से यह याद रखने को कहा कि वे कौन हैं और उनकी संस्कृति उंची है। उन्होंने कहा, हिंदू समुदाय मुश्किल में है। हम किस देश में रह रहे हैं ? अपने ही देश में ? यह हमारी भूमि है, उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में सागर तक। यह हमारे पूर्वजों की भूमि है। भारत माता हम सब की मां है।

आरएसएस प्रमुख ने कहा, हम खुद को भूल चुके हैं। हम सब हिंदू हैं। हमारी जातियां, जो भाषाएं हम बोलते हैं, हम जिस क्षेत्र से हैं, हम जिसे पूजते हैं, वे अलग-अलग रहने दें। जो भारत माता के पुत्र हैं, वे हिंदू हैं। इसलिए भारत को हिंदुस्तान कहा जाता है। भाषा एजेंसी

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: मोहन भागवत, मिशनरी, संघ, भारत, गुजरात, mohan bhagwat, mission, hindu, india
OUTLOOK 31 December, 2016
Advertisement