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01 July 2016

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की तैयारी में मोदी सरकार! विधि आयोग से मांगी राय

गूगल

समान नागरिक संहिता पर कोई फैसला लेने से पहले व्यापक विचार विमर्श की जरूरत का संकेत देते हुए मोदी सरकार ने विधि आयोग ने इसे लागू करने की स्थिति में उसके निहितार्थों का अध्ययन करने को कहा है। कानून मंत्रालय के विधिक विषयक विभाग ने आयोग से इस संबंध में रिपोर्ट भी देने को कहा है। कानून मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा ने पहले कहा था कि इस मुद्दे को अध्ययन के लिए विधि आयोग के पास भेजा जा सकता है। आम सहमति कायम करने के लिए विभिन्न पर्सनल लॉ बोर्डों और अन्य पक्षों के साथ व्यापक परामर्श किया जाएगा और इस प्रक्रिया में कुछ वक्त लग सकता है। उन्होंने कहा था, यहां तक कि संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 44 भी कहते हैं कि एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए, उसके लिए व्यापक परामर्श करने की जरूरत है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र के अनुसार स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसी सरकार ने समान आचार संहिता पर विधि आयोग से उसकी राय मांगी है। गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता का क्रियान्वयन भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा है।

 

विधि आयोग से इस मुद्दे के अध्ययन के लिए कहा जाना इस मायने में अहम है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा था कि वह तीन बार तलाक की संवैधानिक वैधता पर निर्णय करने से पहले आम लोगों और अदालत में व्यापक बहस पसंद करेगा। केंद्र सरकार यदि समान नागरिक संहिता को पारित कर देती है तो देश में सभी के लिए एक समान कानून लागू हो जाएगा। इस समय देश में हिंदू और मुस्लिम अलग-अलग पर्सनल कानून लागू हैं। पर्सनल कानून के दायरे में शादी, तलाक, संपत्ति और उत्तराधिकार जैसे विषय आते हैं। बहरहाल, भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के इस कदम से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने की आशंका है क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर देश के राजनीतिक दल एकमत नहीं हैं। सभी दलों की इसको लेकर अलग-अलग राय है।

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TAGS: यूनिफॉर्म सिविल कोड, समान नागरिक संहिता, नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार, विधि आयोग, अध्ययन, राजनीतिक तापमान, उच्चतम न्यायालय, आम सहमति, कानून मंत्री, डी वी सदानंद गौड़ा, Central Government, Law Commission, Uniform Civil Code, BJP, Narendra Modi, Sangh parivar, Supreme Co
OUTLOOK 01 July, 2016
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