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24 August 2017

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत लेकिन निजता का अधिकार संपूर्ण नहीं : रविशंकर प्रसाद

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया गया है। सरकार ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर सिर्फ उसके रुख की 'पुष्टि' की है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से एक प्रेस कांफ्रेंस से कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि निजता का अधिकार संपूर्ण नहीं है और इस पर तर्कसंगत पाबंदी लगाई जा सकती है।

प्रसाद ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने उस बात की पुष्टि की है जो सरकार ने संसद में आधार विधेयक को पेश करने के दौरान कहा था। निजता को मौलिक अधिकार होना चाहिए लेकिन इसे तर्कसंगत पाबंदी के अधीन होना चाहिए।' इस फैसले के जरिए 'निगरानी के जरिए दबाने' की भाजपा की विचारधारा को खारिज किए जाने के कांग्रेस के दावों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रसाद ने अपने ट्वीट में कहा, 'निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में कांग्रेस का क्या रिकॉर्ड रहा है, इसे आपातकाल के दौरान देखा गया था।'

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है। यूपीए बिना किसी कानून के आधार को ले आई थी। हमने आधार को कानूनी जामा पहनाया। फैसले के बाद से ही कांग्रेस हम पर हमला कर रही है। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि निजी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने क्या किया।

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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान पीठ बनने से पहले वित्तमंत्री ने माना था कि प्राइवेसी मौलिक अधिकार है। वित्तमंत्री ने जो रुख सदन में रखा था फैसला उसी के मुताबिक आया है। सरकार की ओर से पेश एटॉर्नीने भी यही बात कही थी लेकिन कोर्ट के फैसले में बाकी मौलिक अधिकारों की तरह इसमें भी कुछ नियंत्रण हैं। 

आधार को लेकर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार किसी को आधार डाटा सार्वजनिक करने की इजाजत नहीं देती। आधार के जरिए गरीबों के बैंक में सीधे सब्सिडी का पैसा पहुंचाया जा रहा है। खैर आधार को लेकर 5 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है।

वहीं एएनआई से बातचीत में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्राइवेसी पर सरकार का पक्ष हमेशा से स्पष्ट था।

उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है।

जेटली ने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यूपीए बिना कानून के और बिना डेटा की सुरक्षा के आधार लाई थी इसलिए चुनौती थी।

बता दें कि प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज कहा, 'निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और निजी स्वतंत्रता के अधिकार और संविधान के समूचे भाग तीन का स्वाभाविक हिस्सा है।'

एक बेहद अहम फैसले के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकारयानी राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकारों का हिस्सा करार दिया है। नौ जजों की संविधान पीठ ने 1954 और 1962 में दिए गए फैसलों को पलटते हुए कहा कि राइट टू प्राइवेसी मौलिक अधिकारों के अंतर्गत प्रदत्त जीवन के अधिकार का ही हिस्सा है। राइट टू प्राइवेसी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आती है। अब लोगों की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी। हालांकि आधार की योजनाओं से जोड़ने पर सुनवाई आधार बेंच करेगी। इसमें जज होंगे।

 

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TAGS: ravishankar prasad, sc's verdict on right to privacy
OUTLOOK 24 August, 2017
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