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03 August 2015

एफटीआईआई छात्रों के समर्थन में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

भाषा सिंह

तमाम वामपंथी छात्र संगठनों के साथ-साथ कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई सहित विभिन्न प्रगतिशील खेमे के लोगों ने आज देश की राजधानी के जंतर-मंतर पर जमा होकर केंद्र सरकार से एफटीआईआई के चेयरमैन गजेंद्र चौहान को तुरंत हटाने की मांग की। गौरतलब है कि एफटीआईआई के छात्र पिछले 52 दिनों से गजेंद्र चौहान को हटाने की मांग को लेकर हड़ताल पर है।

आज दिल्ली में एफटीआईआई के छात्रों के साथ कदमताल करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की यूनियन, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ-साथ आईसा, दिशा, एसएफआई आदि छात्र संगठनों ने आज साफ शब्दों में मांग की कि केंद्र सरकार एफटीआईआई जैसे संस्थानों का भगवाकरण बंद करे। फिल्म निर्माण की दुनिया से जुड़े दिग्गज, अस्मिता नाट्य ग्रुप, वरिष्ठ नाट्यकर्मी, अकादमिक क्षेत्र में सक्रिय बौद्धिक तबका, जनवादी लेखक संगठन सहित अनेक लोगों ने आज एफटीआईआई के पक्ष में आवाज बुलंद की।

वरिष्ठ रंगकर्मी एम.के. रैना ने आउटलुक को बताया कि एफटीआईआई में छात्रों की लंबी हड़ताल ने केंद्र सरकार को परेशानी में डाल दिया है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह पहली इस तरह की हड़ताल है, जिसे इतने बड़े पैमाने पर समर्थन मिला है। अगर यह मांग देश भर के विश्वविद्यालयों में फैल जाती है तो यह भगवाकरण के खिलाफ लड़ाई की बड़ी जीत होगी। अपने पूरे दल-बल के साथ काले कपड़ों में मौजूद अस्मिता समूह के अरविंद गौड़ ने कहा कि पुणे में शुरू हुई लड़ाई ने केंद्र की भगवा रणनीति को बेनकाब कर दिया है। यह सरकार कितनी खोखली है, उसके पास टैलेंट की किस कदर कमी है, यह गजेंद्र की नियुक्ति से साफ हो जाता है।

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एफटीआईआई के संघर्षशील छात्रों के समर्थन में अपील करने वाले जनवादी लेखक संघ के संजीव ने कहा कि इस लड़ाई को आगे तक ले जाने में लेखकों-बुद्धिजीवियों की बड़ी भूमिका है। जंतर-मंतर पर जुटने वालों में कांग्रेस के सासंद राजबब्बर, फिल्मकार संजय काक, नकुल साहनी, अजय भारद्धाज, आइसा के संदीप, एपवा की कविता कृष्णन, अपूर्वानंद, सुभाष गताड़े आदि शामिल थे।   

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OUTLOOK 03 August, 2015
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