Advertisement
18 October 2016

राजनीति की खातिर जात भड़काऊ प्रयास

गूगल

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने को ‘असली बनिया’ घोषित कर दिया था। जाति विशेष पर गौरव करने अथवा समुदाय के हितों की रक्षा के लिए निरपेक्ष भाव से काम करने पर किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। लेकिन जाति विशेष के भोले-भाले लोगों को इकट्ठा कर उन्हें भड़काना, उनके घावों पर नमक छिड़कना और राजनीतिक स्वार्थ के लिए उपयोग करना लोकतंत्र का घृणित खेल ही कहा जाएगा। केजरीवाल साहब ने दिल्ली में किस समुदाय के गरीब लोगों के कल्याण के लिए क्या कुछ कर दिया? उनके पास राजनीतिक या सामाजिक क्षेत्र में काम करने का अनुभव ही बहुत थोड़ा है।

दूसरी तरफ राहुल गांधी 12 वर्षों से सांसद हैं। बचपन से दादी, पिता, माता, बहन और कांग्रेसी नेताओं को विभिन्न समुदायों के बीच काम करते देखा है। फिर दो दिन पहले पिछड़ी जाति की एक सभा में उन्होंने तर्क दिया कि ‘आर्थिक प्रगति से इस जाति के लोगों को पूर्वजों का प्रारंभिक रोजगार नहीं मिल रहा है। जैसे ब्यूटी पार्लर एवं हेयर सैलून बनने से छोटे स्तर पर नाई समुदाय के लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है।’ यह कितना बेहूदा तर्क है। आधुनिक भारत में क्या लोग अपने ‌परिवार की जाति के आधार पर ही काम धंधा करेंगे? ऐसा हुआ तो नाई, लुहार, सुतार, दर्जी, पुजारी ही नहीं सफाई मजदूरी करने वाले दलित परिवार के बच्चे क्या पारंपरिक काम धंधे पर निर्भर रहेंगे? नेहरू-गांधी क्या भारत में ऐसा परिवर्तन चाहते थे।

निश्चित रूप से पारंपरिक हुनर नई पीढ़ी के लिए लाभदायक हो सकता है। छोटे गांवों में मजबूरी या इच्छा से युवा उसी काम धंधे से जुड़े रह सकते हैं। जबकि अब गांव और आदिवासी इलाके के युवा भी पढ़ लिखकर नए काम धंधे से परिवार का गौरव बढ़ाना चाहते हैं। बढ़ा भी रहे हैं। जूता पालिश या सफाई करके पढ़ने वाले बच्चे बड़े होकर भारत में राजनीतिक, प्रशासनिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचे हैं। इसलिए चुनाव के वोट बैंक के ‌लिए जातिगत आधार पर लोगों को पिछली सदी में ले जाना या लाठी-तलवार लेकर सत्ता-व्यवस्‍था से टकराने का सबक देने वाले नेताओं को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: अरविंद केजरीवाल, राजनीति, जाति, गुरुद्वारा, कार सेवा, राहुल गांधी
OUTLOOK 18 October, 2016
Advertisement