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05 February 2016

चर्चाः क्रिकेट के ‘दादाओं’ पर तलवार | आलोक मेहता

गूगल

भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) वर्षों से मनमानी, गड़बड़ी और भ्रष्टाचार से खेल-खिलाड़ियों को लगातार कलंकित कर चुका है। करोड़ों भारतीयों के पसंदीदा खेल क्रिकेट की पवित्रता, गरिमा और भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए जस्टिस आर.एम. लोढा समिति द्वारा की गई सिफारिशों को लागू करने में क्रिकेट बोर्ड के आकाओं को बड़ा कष्ट हो रहा है। क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के कामकाज में सुधार के लिए बनी लोढ़ा समिति ने बोर्ड प्रशासन के ढांचे में व्यापक बदलाव की सिफारिश की है। सलाह दी गई है कि एक व्यक्ति एक पद, हर प्रदेश से एक वोट तथा सदस्यों की योग्यता के मानदण्ड तय किए जाएं। बोर्ड में गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य के तीन-तीन प्रतिनिधि हैं, जबकि छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर के सात राज्यों में से छः प्रदेशों का एक भी प्रतिनिधि नहीं हैं? झारखंड से क्रिकेट के नामी खिलाड़ी हो सकते हैं, फिर बोर्ड के निर्णयों में उसका वोट क्यों नहीं है? सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी इस कारण स्वाभाविक है, क्योंकि क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड सुधार संबंधी सिफारिशों को लागू नहीं करने के बेतुके तकनीकी बहाने पेश कर रहे हैं। क्रिकेट बोर्ड पर कब्जा जमाए रखने के इच्छुक महारथी खेल को धंधे की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं। क्रिकेट में खिलाड़ियों के चयन, कोचिंग, अंपायर, मैच के स्‍थान संबंधी निर्णयों में धांधली और सट्टेबाजी से भारतीय क्रिकेट की छवि बहुत खराब हुई है। राजनीतिज्ञों ने क्रिकेट बोर्ड को राजनीतिक शतरंज की बिसात बनाया हुआ है। भारत के साथ आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड में भी अनियमितताओं की हद पार कर दी है। इसीलिए, आईसीसी ने भी कार्यकारिणी में इन तीनों देशों की स्‍थायी सदस्यता समाप्त करने का फैसला किया है। आईसीसी ने वित्तीय तथा व्यावसायिक मामलों की समितियों में इन देशों द्वारा असीमित अधिकारों के दुरुपयोग पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए यह फैसला किया है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तलवारें खींचने के बाद ‘दादाओं’ को सुधरने के लिए देर सबेर झुकना पड़ेगा।

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TAGS: खेल, क्रिकेट, बीसीसीआई, आर.एम. लोढा, सुप्रीम कोर्ट, राजनीतिज्ञ, आईसीसी, भ्रष्टाचार, आलोक मेहता
OUTLOOK 05 February, 2016
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