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25 March 2016

चर्चा : घुसपैठ से बड़ा मुद्दा विकास। आलोक मेहता

कोई भी राज्य सरकार सीमावर्ती क्षेत्र में निगरानी और सुरक्षा व्यवस्‍था में कमजोर हो सकती है, लेकिन प्रदेश और देश के विकास में बाधा डाल सकने वाले लोगों को बड़ी संख्या में घुसपैठ को प्रोत्साहन कैसे दे सकती है। बांग्लादेश के निर्माण के समय से इस क्षेत्र में आर्थिक कारणों से लोग आते रहे हैं। सीमा से अवैध घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की ही होती है। मजदूरी के लिए चोरी छिपे आने के बाद कई वर्षों से बस चुके बांग्लादेशी उसी तरह के लोग हैं, जो अमेरिका में मेक्सिकन अथवा अन्य अविकसित देशों में जाकर काम करने लगते हैं। बेहद गरीबी भुगत रहे लोग रोजगार मिलने के बाद उसी जमीन से लगाव रखते हुए वापस जाने की इच्छा नहीं रखते। हां, सीमा पर अच्छी चौकसी से घुसपैठ रोकने के ‌िलए सुरक्षा बलों को अधिकाधिक कारगर कदम उठाने चाहिए।

अवैध घुसपैठियों की पहचान होने पर इन्हें तत्काल वापस भेजा जाना भी जरूरी है। आखिरकार, असम या पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारों की प्राथमिकता इस क्षेत्र का आर्थिक विकास होना चाहिए। आश्चर्य की बात यह है ‌िक भाजपा 2016 के बाद प्रदेश के विकास के लिए केंद्र से 148 फीसदी अधिक सहायता देने की बात कर रही है। यह पहल दो वर्ष केंद्र में सत्ता में रहते हुए क्यों नहीं की गई? जनता जिस पार्टी को प्रदेश में वोट दे, क्या केंद्र में उसकी सरकार होना जरूरी है? यह लोकतांत्रिक संघीय व्यवस्‍था में दुर्भाग्यपूर्ण बात मानी जाएगी। फिर असम पर सचमुच केंद्र ने सौतेेला व्यवहार रखा है।

असम के आदिवासियों की स्थिति अब भी नहीं सुधर पा रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं तक के लिए केंद्र से समुचित सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। कोयला खानों का काम भी गड़बड़ाने से गरीब मजदूरों की स्थिति बदतर है। चाय बागानों की हालत खस्ता है। चुनावी राजनीति में भी आर्थिक विकास असली मुददा होना चाहिए और सर्वांगीण विकास की गारंटी मिलनी चाहिए।

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TAGS: alok mehta, bangladesh, illegal immegrants, tarun gogai, आलोक मेहता, बांग्लादेश, घुसपैठिए, तरुण गोगोई
OUTLOOK 25 March, 2016
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