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08 October 2015

चार साल में 11 परमाणु वैज्ञानिकों की अस्वाभाविक मौत

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई जानकारी में बताया गया कि विभाग के आठ वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मौत प्रयोगशालाओं तथा शोध केंद्रों पर काम करते हुई है। ये मौतें या तो विस्फोट के कारण या आत्महत्या या समुद्र में डूबने से हुई हैं।

विभाग ने बताया कि परमाणु ऊर्जा निगम के तीन ‌वैज्ञानिकों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हुई है जिनमें से दो वैज्ञानिकों ने आत्महत्या कर ली जबकि एक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। भाभा परमाणु शोध संस्‍थान (बार्क), ट्रांबे में कार्यरत सी-ग्रुप के दो वैज्ञानिकों के शव सन 2010 में उनके निवासों पर लटकते पाए गए जबकि रावतभाटा में कार्यरत इसी ग्रुप के एक वैज्ञानिक को सन 2012 में उनके निवास पर मृत पाया गया।

पुलिस का दावा है कि बार्क के एक वैज्ञानिक ने लंबी बीमारी के कारण आत्महत्या कर ली थी जिस कारण पुलिस ने इस मामले की जांच बंद कर दी लेकिन अन्य मामलों की जांच जारी है। दो शोधकर्ताओं की मौत 2010 में बार्क, ट्रांबे की प्रयोगशाला में लगी रहस्यमय आग में झुलसने के कारण हो गई थी। एफ-ग्रेड के एक वैज्ञानिक की मुंबई स्थित उनके निवास पर हत्या कर दी गई। संदेह है कि उनका शोषण करने की कोशिश की जा रही थी और उनके हत्यारे का आज तक पता नहीं चल पाया है।

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आरआरसीएटी में कार्यरत डी-ग्रेड के एक वैज्ञानिक ने आत्महत्या कर ली जिस कारण इस मामले की पुलिस जांच बंद कर दी गई। कलपक्कम में नियुक्त एक वैज्ञानिक के बारे में कहा जाता है कि सन 2013 में उन्होंने समुद्र में कूदकर अपनी जान दे दी। हालांकि इस मामले की पड़ताल अभी चल रही है लेकिन पुलिस इस मौत को व्यक्तिगत कारण बता रही है। एक अन्य वैज्ञानिक ने कर्नाटक के करवर की काली नदी में कूदकर जान दे दी। इसे भी पुलिस व्यक्तिगत मामला मान रही है।  

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TAGS: RTI, BARC, scientist, Rahul Sehrawat, आरआरसीएटी, कलपक्कम, काली नदी
OUTLOOK 08 October, 2015
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