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16 May 2015

पचौरी के आग्रह पर 21 मई को सुनवाई

गूगल

अदालत ने शिकायतकर्ता के यह कहे जाने के बाद सुनवाई स्थगित की कि उसने पचौरी की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन दायर कर रखा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजकुमार त्रिपाठी ने कहा कि न्यायिक शिष्टाचार कहता है कि आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका रद्द करने के आवेदन पर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसला के बाद सुनवाई की जाए।

अदालत ने कहा, कार्यवाही की प्रक्रिया के दौरान शिकायतकर्ता के वकील ने सूचना दी कि आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका रद्द कराने के लिए आवेदन पहले ही दायर किया जा चुका है। मामला उच्च न्यायालय में 20 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। पहले के आदेश में सुधार के आवेदन पर सुनवाई के लिए इस मामले को 21 मई को सूचीबद्ध किया जाए।

सुनवाई के दौरान पचौरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत के पूर्व के उस आदेश में सुधार का आग्रह किया जिसमें जांच पूरी होने तक पचौरी के टेरी परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। अधिवक्ता ने कहा कि विगत दो महीनों में जांच अधिकारी ने उनसे जांच में शामिल नहीं होने को कहा है। उन्होंने कहा कि अधिकांश जांच पूरी हो चुकी है और शिकायतकर्ता अपने बयान दर्ज करा चुकी है तथा पचौरी के लैपटॉप, सेल फोन जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरण पहले ही पुलिस के पास हैं।

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रमेश गुप्ता ने कहा, उन्हें (पचौरी को) अग्रिम जमानत देते समय अदालत द्वारा लगाई गई शर्त का उद्देश्य यह था कि वह जांच में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन हो। पचौरी को अदालत ने 21 मार्च को कई शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी थी और उसने छेड़छाड़ मामले में उन्हें हिरासत में लेने का पुलिस का आग्रह नामंजूर कर दिया था।

अदालत ने पचौरी से कहा था कि उन्हें जांच में जब भी बुलाया जाएगा, वह उसमें शामिल होंगे और टेरी कार्यालय परिसर में प्रवेश नहीं करेंगे तथा शिकायतकर्ता और मामले के गवाहों को नहीं धमकाएंगे। यौन उत्पीड़न के आरोपों में पचौरी के खिलाफ 13 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उनके खिलाफ भादंसं की धाराओं- 354, 354 (ए) और 354 (डी) (छेड़छाड़) तथा 506 (आपराधिक इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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OUTLOOK 16 May, 2015
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