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23 July 2015

राज्यों को मिल गया कैदियों की रिहाई का सशर्त अधिकार

संजय रावत

राज्य सरकारों के इस अधिकार पर एक साल पहले लगाई गई रोक हटाते हुए प्रधान न्यायाधीश एच.एल. दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि यह छूट उन मामलों में भी लागू नहीं होगी जहां दोषी को बलात्कार के यौन अपराधों और हत्या के अपराध में उम्र कैद की सजा दी गई है। संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि यह अंतरिम आदेश राजीव गांधी हत्याकांड पर लागू नहीं होगा जिसमे सात दोषियों की सजा माफ कर उन्हें रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार की याचिका पर विचार हो रहा है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, न्यायमूर्ति पिनाकी चन्द्र घोष, न्यायमूर्ति अभय एम सप्रे और न्यायमूर्ति यू.यू. ललित शामिल हैं।

संविधान पीठ ने कहा, हम यह स्पष्ट करते हैं कि हमारा आदेश इस मामले (राजीव गांधी हत्याकांड प्रकरण) में लागू नहीं होगा। हमारा अंतरिम आदेश उस अंतिम आदेश के दायरे में होगा जो हम इस मामले में पारित करेंगे। शीर्ष अदालत ने अपने नौ जुलाई, 2014 के आदेश में संशोधन किया। इसी आदेश के माध्यम से न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के फैसले से उठे विवाद के आलोक में सभी राज्यों को उम्र कैद की सजा पाए कैदियों की सजा माफ कर उन्हें जेल से रिहा करने के अधिकार पर रोक लगाई थी।

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TAGS: सुप्रीम कोर्ट, कैदी, उम्रकैद, राज्यों को अधिकार, कैदियों की रिहाई, The Supreme Court, the prisoner, states rights, the release of prisoners
OUTLOOK 23 July, 2015
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