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10 December 2019

पाक ने नागरिकता संशोधन बिल को बताया भेदभावपूर्ण, तो अमेरिकी आयोग ने शाह पर की प्रतिबंध की मांग

हंगामे और विवादों के बीच नागरिकता संशोधन बिल सोमवार रात को लोकसभा में पारित हो गया। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान ने 'नागरिकता संशोधन बिल' को भेदभावकारी बिल करार देकर इसका विरोध किया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर बने एक अमेरिकी आयोग ने कहा है कि यह विधेयक गलत दिशा में एक खतरनाक मोड़ है। उसने सरकार से मांग की है कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो गृह मंत्री अमित शाह पर अमेरिका प्रतिबंध लगाए।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। इसमें 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए गैर मुस्लिमों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है। यानी उन्हें अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा।

पाकिस्तान ने इसे "भेदभावपूर्ण कानून" करार दिया है। पाक का कहना है कि  यह दोनों पड़ोसियों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का पूर्ण उल्लंघन है और खासतौर पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए चिंताजनक है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि नवीनतम कानून, जो पाकिस्तान के नागरिकों और दो अन्य दक्षिण एशियाई देशों में मुसलमानों को छोड़कर अन्य को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करता है, आज भारतीय लोकसभा द्वारा पारित किया गया है। यह  "एक झूठ पर आधारित है और पूरी तरह से है धर्म और विश्वास के आधार पर सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर मानव अधिकारों और अन्य अंतरराष्ट्रीय नियमों की सार्वभौमिक घोषणा का उल्लंघन है।"

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पाकिस्तान ने कहा कि यह नया बिल दक्षिणपंथी हिंदू नेताओं द्वारा गढ़े जा रहे 'हिंदू राष्ट्र' की दिशा में एक और कदम  है। यह बिल कट्टर हिंदूवाद की विचारधारा और क्षेत्र में तानाशाही की महत्वाकांक्षा का मिला-जुला परिणाम है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि नया बिल भारत के धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्र होने के दावे की भी पोल खोलता है।

अमेरिकी आयोग ने जताई चिंता, शाह पर की प्रतिबंधों की मांग

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर एक संघीय अमेरिकी आयोग ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक "गलत दिशा में एक खतरनाक मोड़" है। आयोग ने कहा कि यदि भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा बिल पारित किया जाता है तो गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों की मांग की जाती है।

सोमवार को जारी एक बयान में, यूएस कमीशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने कहा, "अगर सीएबी संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और अन्य प्रमुख नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार करना चाहिए।"

यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि कैब आप्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है। इस तरह यह विधेयक नागरिकता के लिए धर्म के आधार पर कानूनी मानदंड निर्धारित करता है। उसने कहा, ‘‘ कैब गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है। यह भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलवाद के समृद्ध इतिहास और भारतीय संविधान का विरोधाभासी है जो धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है।’’

आयोग ने असम में चल रही राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया और गृह मंत्री शाह द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के बारे में कहा, ‘‘ यूएससीआईआरएफ को यह डर है कि भारत सरकार भारतीय नागरिकता के लिए धार्मिक परीक्षण के हालात पैदा कर रही है जिससे लाखों मुस्लिमों की नागरिकता पर संकट पैदा हो सकता है।’’ उसने यह भी कहा कि भारत सरकार करीब एक दशक से अधिक समय से यूएससीआईआरएफ के वक्तव्यों और वार्षिक रिपोर्टों को नजरअंदाज कर रही है।

विपक्ष का विरोध, सरकार ने कहा- प्राचीन परंपरा के अनुरूप

विपक्ष नागरिकता संशोधन विधेयक का पुरजोर विरोध कर रहा है। उसने इसे भारत के मूल विचार के खिलाफ बताया है। हालांकि सरकार ने इस आरोप को खारिज किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यह विधेयक समाहित करने की भारत की प्राचीन परंपरा के अनुरूप ही है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया है। उधर, असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में इस विधेयक का कड़ा विरोध हो रहा है। वहां कई संगठनों का मानना है कि यह विधेयक वहां के मूल निवासियों के हितों के खिलाफ है। हालांकि बीते कुछ समय के दौरान सरकार ने उन्हें लगातार आश्वस्त करने का प्रयास किया है।

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TAGS: Pakistan, citizenship amendment bill, discriminatory, US commission, USCIRF, demands ban, Amit Shah
OUTLOOK 10 December, 2019
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