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24 December 2016

राष्ट्रहित में कठिन फैसले लेने से नहीं हिचकिचाएंगे : मोदी

PTI

मोदी ने कहा, उनकी सरकार और दीर्घकालिक नीतियों को लायेगी जो कि टिकाऊ और मजबूत होंगी। इससे उच्च आर्थिक वृद्धि दर को बनाये रखने में मदद मिलेगी। मोदी ने आज पूंजी बाजार नियामक सेबी के नये शैक्षणिक और प्रशिक्षण संस्थान का उद्घाटन किया। यह संस्थान सेबी के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट्स (एनआईएसएम) के तहत काम करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, उनकी सरकार सोची समझी और मजबूत आर्थिक नीतियों पर चलती रहेगी और कोई भी फैसला अल्पकालिक राजनीतिक फायदे के लिये नहीं करेगी। मोदी ने स्वीकार किया कि नोटबंदी की वजह से जनता को कुछ समय के लिये परेशानी हुई है, पर उन्होंने कहा कि इससे लंबे समय में फायदा होगा।

मोदी ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के मुद्दे पर कहा कि देश का यह सबसे बड़ा कर सुधार जल्द ही वास्तविकता बनेगा। जीएसटी को लेकर हालांकि, अभी तक केन्द्र और राज्यों के बीच सभी मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई है। जीएसटी के तहत करदाताओं पर अधिकार और दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि सत्ता संभालने के पिछले 30 माह के दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव किया है। उन्होंने जब सत्ता संभाली तब अर्थव्यवस्था काफी खराब स्थिति में थी। चालू खाते का घाटा और राजकोषीय घाटा काफी ऊंचा था। मुद्रास्फीति दहाई अंक के करीब थी और विदेशी मुद्रा भंडार भी कम था।

मोदी ने कहा कि कई तरह की परेशानियों के बावजूद उनकी सरकार ने इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काफी सुधार किया है। आज भारत सुस्ती से जूझ रही दुनिया में एक आकर्षक चमकता स्थान है। पूरी दुनिया आर्थिक सुस्ती से जूझ रही है जबकि भारत को एक आकर्षक चमकती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जा रहा है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में उसकी वृद्धि सर्वाधिक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बजट को तय समय से पहले पेश किये जाने और अर्थव्यवस्था के सभी उत्पादक क्षेत्रों को उपयुक्त संसाधन उपलब्ध कराने से उत्पादकता में सुधार आयेगा।

मोदी ने पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की भी सराहना की। इस साल बड़ी संख्या में प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) बाजार में आये और पूंजी बाजार का विकास हुआ। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिये वित्तीय बाजार काफी महत्वपूर्ण होते हैं।

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TAGS: Prime Minister, Narendra Modi, more radical reforms, taking difficult decisions, national interest, note ban, "short-term pain"
OUTLOOK 24 December, 2016
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