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13 January 2020

कश्मीर से गिरफ्तार डीएसपी का छिन सकता है वीरता पदक, आतंकियों से सांठ-गांठ का है आरोप

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डीएसपी देविंदर सिंह और आतंकियों के बीच बड़ी सांठ-गांठ का खुलासा किया है। इस गिरफ्तारी से अभी और राज खुलना बाकी हैं। कश्मीर पुलिस ने गृह मंत्रालय को गिरफ्तारी के बारे में अवगत कराया है और कुलगाम मुठभेड़ पर गृह सचिव को जानकारी दी है। सिंह को तब गिरफ्तार किया गया जब वो कश्मीर के शोपियां जिले के खूंखार आतंकवादी नावेद बाबा को अपनी निजी कार में जम्मू ले जा रहे थे। सिंह ने स्वीकार किया कि उन्होंने बाबा को जम्मू ले जाने से पहले अपने घर में पनाह भी दी थी। नावेद बाबा पुलिस द्वारा 11 लोगों की हत्या का वांछित आतंकवादी है। इन हत्याओं में अनुच्छेद 370 निरस्त होने के गैर स्थानीय मजदूर, ट्रक चालक और फल व्यापारी शामिल हैं।

निजी घर में आतंकियों को शरण

देविंदर सिंह दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के नाजनीपोरा के रहने वाले नावेद बाबू उर्फ बाबर आजम और उसके सहयोगी आसिफ अहमद को चंडीगढ़ ले जा रहे थे, ताकि दोनों कुछ महीने वहां रह सकें। सिंह तब पकड़े गए जब पुलिस ने कुलगाम जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार को पकड़ लिया। कार स्थानीय व्यक्ति इरफान अहमद मीर चला रहा था। मीर पांच बार पाकिस्तान की यात्र कर चुका है। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि सिंह और मीर दोनों आतंकवादियों को भगाने में मदद कर रहे थे या किसी हमले में। पुलिस ने सिंह के आवास से एक एके -47 राइफल, दो पिस्तौल और दो हथगोले बरामद के अलावा लाखों रुपये भी बरामद किए गए हैं। सिंह पिछले कई सालों से सर्दियों के दौरान जम्मू में आतंकवादियों को ठिकाने मुहैया करा रहे थे, जिसके बदले उन्हें अच्छी-खासी रकम मिलती थी। पुलिस ने बताया कि देविंदर सिंह जम्मू में अपने घर और कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल शहर में भी अपने पैतृक घर में आतंकवादियों को शरण दे रहे थे।

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12 लाख में हुआ सौदा

कश्मीर जोन के आईजीपी विजय कुमार ने कहा, “खूंखार आतंकवादी को अपने निजी वाहन में जम्मू ले जाने के जघन्य अपराध के लिए सिंह ने आतंकवादी से 12 लाख रुपये लिए थे। सिंह से आतंकवादी की तरह ही पूछताछ होगी और उससे इसी तरह से निपटा जाएगा।” सिंह जब नावेद और आसिफ को लेने के लिए कुछ दिन पहले शोपियां पहुंचे थे, पुलिस तब से सिंह पर नजर रख रही थी। सूत्रों ने बताया, “मीर सहित तीनों श्रीनगर में रात को सिंह के घर रुके थे। उनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने हवाई अड्डे और एनएच 44 पर नाकेबंदी की थी।

सिंह का नाम सबसे पहले संसद हमले के दोषी अफजल गुरु ने लिया था। गुरु ने ट्रायल कोर्ट में अपने बचाव के दौरान उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन तब राज्य पुलिस और खुफिया एजेंसियों दोनों ने उन आरोपों को एक आतंकवादी के दिमाग की उपज समझ कर खारिज कर दिया था। गुरु ने अपने बचाव में आरोप लगाया था कि सिंह ने उसे तब तक प्रताड़ित किया जब तक उसने उनके निर्देश का पालन नहीं किया और उसके परिवार को मारने की धमकी दी थी। गुरु ने लिखित हलफनामे में और स्थानीय मीडिया में दिए गए बयानों के माध्यम से आरोप लगाया था कि सिंह ने उसे संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों को दिल्ली ले जाने के लिए मजबूर किया था। उन्होंने दिल्ली में एक फ्लैट किराए पर लिया था और आतंकवादियों के इस्तेमाल के लिए एक पुरानी एम्बेसडर कार भी खरीदी थी। 2001 में आतंकियों ने सफेद एम्बेसडर कार में ही संसद भवन पर हमला किया था।

छिन सकता है, वीरता पदक

सिंह जम्मू-कश्मीर पुलिस के आतंकवाद रोधी विशेष अभियान समूह (एसओजी) में सब-इंस्पेक्टर के रूप में शामिल हुए थे। उन्हें वीरता के लिए प्रतिष्ठित पुलिस पदक भी मिल चुका है। डीएसपी पद तक वह वह बहुत कम समय में पहुंचे थे। अब उनसे इंटेलिजेंस ब्यूरो, रॉ और सैन्य खुफिया टीमों द्वारा पूछताछ की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि उनका नाम राष्ट्रपति वीरता पदक पुरस्कार से हटा दिया जाएगा। हालांकि अभी यह प्रक्रिया विचाराधीन है।

सिंह की गिरफ्तारी के ऑपरेशन को जम्मू-कश्मीर पुलिस, डीजीपी दिलबाग सिंह, आईजीपी विजय कुमार और डीआईजी अतुल कुमार गोयल के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

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TAGS: Kashmir DSP, Galantry award, Devinder Singh
OUTLOOK 13 January, 2020
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