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18 October 2018

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की जरूरत: आरएसएस प्रमुख

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने वार्षिक कार्यक्रम में रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्म-निर्भरता लाने पर जोर दिया। भागवत के अनुसार रक्षा के मामले में कोई देश बहुत समय तक दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकता इसलिए रक्षा उपकरणों का उत्पादन भारत में ही होना चाहिए।

आरएसएस प्रमुख का यह बयान उस स्थिति में महत्वपूर्ण हो जाता है जब राफेल को लेकर सरकार जहां एक ओर घरेलू राजनीति में घिरी हुई है तो रूस से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर अंतराष्ट्रीय स्तर अमेरिका नाखुशी दिखा रहा है।

मोहन भागवत के शब्दों में “रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्मर होने की जरूरत है, इसके बिना देश स्वयं में सुरक्षित नहीं हो सकता”

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“तकनीक का आयात करें”
भागवत के अनुसार इस प्रक्रिया में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पाद बेंचने के लिए कभी-कभी दूसरें देशों से भी कुछ खरीदारी करनी पड़ती है। इस तरह रक्षा उपकरण की खरीद, व्यापारिक रणनीति का हिस्सा या समय की मांग हो सकती है। उन्होंने कहा “व्यापार में लेन-देन की प्रक्रिया नहीं रुकनी चाहिए, यह हमारी शर्तों पर होनी चाहिए और रक्षा के मामले में हमारी निर्भरता दूसरों पर नहीं होनी चाहिए। हम तकनीक हासिल करके अपनी घरेलू क्षमता बढ़ाएं।”
उन्होंने आगे कहा कि “अपनी जमीन पर डटे रहकर, अपनी क्षमताओं को पहचानकर और जरूरी समय में राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोल्ड निर्णय लेते हुए भारत ने दुनियाभर के देशों के साथ हमेशा से शांतिपूर्ण संबंध बनाने की मंशा दिखाई है।“

“सुरक्षा से विकास और खुशहाली का महौल बनता है”
आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा पर भागवत ने कहा कि सीमा पर सुरक्षा और घर के अंदर सुरक्षा ऐसे महत्वपूर्ण मसले हैं जो देश के विकास और खुशाहाली लाने वाला माहौल उपलब्ध कराते हैं। इस संबंध में सुरक्षाबलों का मनोबल ऊंचा रहे, इसके लिए जरूरी है कि उनकी और उनके परिवार की आवश्यकताओं को ध्यान रखा जाए। भागवत के अनुसार इस दिशा में सरकार ने कुछ प्रशंसनीय काम किए है।

1925 की विजय दशमी के दिन स्थापित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हर साल उत्सव मनाता है जिसमें संघ प्रमुख भागवत का संबोधन प्रमुख होता है। इस बार संघ के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नोबेल पुरस्कर विजेता कैलाश सत्यार्थी थे।

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TAGS: RSS, आरएसएस, मोहन भागवत, Mohan Bhagwat
OUTLOOK 18 October, 2018
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