Advertisement
02 October 2021

गांधी जयंती स्पेशल: आज़ादी के 75 साल बाद भी बापू की प्रासंगिकता कायम

File Photo

आज़ादी के 75 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी महात्मा गांधी की प्रासंगिकता कायम है, या यूँ कहें कि उनके विचारों और मूलभूत सिद्धांतों की तलाश आज भी जारी है। इसका कारण यह है कि उनका व्यक्तित्व उच्च किस्म का आदर्शवादी और सैद्धांतिक रहा है। उनके सामने कैसी भी परिस्थितियां रही हों, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने विचारों से समझौता नहीं किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ज़िंदगी महज एक मानवीय जीवन ही नहीं बल्कि एक वृहत्तर संस्कृति भी है, जो आज भी ज़िंदा है और आगे रहेगी। गांधी जी के विचारों को यदि हम व्यापक स्तर पर पढ़ने से ही हमें यह पता चलता है कि वह सिर्फ एक शख्सियत नहीं बल्कि एक समूची विचारधारा थे, जिन्हें महज पढ़ लेने से गांधी को समझना आसान नहीं है, उनके विचारों का पालन करने से उनकी विचारधारा की असल समझ बन सकती है।

आज भारत में लोगों को सिर्फ 2 अक्टूबर और 30 जनवरी को गांधी जी की याद आती हैं। यह सच है कि गांधी जी समाज में आज सिर्फ तिथि बनकर रह गए हैं। जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर समाज उस गांधी से बचना चाहता है, जिसके विचारों को असल जीवन में अपनाकर जीवन को सैद्धांतिक और आदर्श जीवन बनाया जा सकता है। महात्मा गांधी के बारे में महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन ने भी कहा था -‘आने वाली नस्लें शायद ही यकीन करें कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी इस धरती पर चलता-फिरता था।’

महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए तमाम राजनीतिक पार्टियां समय-समय पर संकल्प लेती रही हैं, लेकिन सही मायने में किसी पार्टी ने उनके विचारों को सही ढंग से जनता की सोच का हिस्सा नहीं बनाने में नाकाम रही हैं। रामराज्य के सपने को पूरा करने के लिए वर्तमान सरकार ने इसकी पहल स्वच्छता अभियान से की। 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की 145वीं जयंती पर देश के प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। गांधी जी के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ-सफाई से लेकर सबका साथ सबका विकास और सबका प्रयास को जन-जन तक जोड़ने का प्रयास किया। यदि यह प्रयास ज़मीनी स्तर पर पूरी लगन से होता तो उससे हम एक ऐसा समाज बनाने में सफल होते जो गांधी के विचारों से ओतप्रोत हो।

Advertisement

बहरहाल, अगर बात करें गांधी जी के संघर्षों की तो उनके संघर्ष हमारे लिए प्रेरणास्रोत तो हैं ही, साथ ही आज के समय में भी उतना ही महत्व है जितना आज़ादी के पहले था। देश को आज़ाद हुए 75 वर्ष हो गए फिर भी कुछ अराजक तत्व अहिंसा की बजाय हिंसा में विश्वास और उसका समर्थन करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अहिंसा एक कमज़ोर सस्त्र है। जबकि पूरी दुनिया इस बात से बाखबर है कि गांधी जी ने अहिंसा के बल पर ही अंग्रेज़ी हुकुमत को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। महात्मा गांधी हमेशा कहते थे कि कितनी भी विपत्तियां आ जाएं लेकिन अहिंसा के मार्ग को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। गांधी का यह वसूल एक नज़ीर के रूप में हमारे लिए आज भी उपस्थित हैं।

आज़ादी से पहले भारत के लिए गांधी जी ने एक सबक दिया, जिसमें पहला संघर्ष था शान्तिपूर्ण तरीके से अपनी बात मनवाना। आज के समय मे भी राजनीतिक संघर्ष, समाज में अंतर्विरोध, विचारधाराएं अलग हैं लेकिन इन्हें किस तरह से व्यक्त करना है यह गांधी जी ने अहिंसक तरीके से दुनिया की सबसे बड़ी साम्राज्यवादी शक्ति के सामने बड़े कौशल के साथ पेश किया और दुनिया में मिसाल कायम की। ऐसे समय में जब हम व्यथित महसूस करते हैं तो उस समय हमें गांधीवादी सिद्धान्तों का पालन करते रहना चाहिए। इससे गांधी के विरासत को बचाया जा सकता है।

आज के समय में हम धार्मिक उग्रवाद से घिरे हुए हैं लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि गांधी जी ने अपने पूरे जीवन में हिन्दू मुस्लिम एकता पर काम किया। बंगाल हो या दिल्ली, जब देश विभाजन से तबाह हो गया था तब गांधी जी ने उस तबाही को कैसे संभाला, यह उनके जीवन के बेहतरीन क्षणों में से एक था। वह एक ऐसा समय था जब जातियों में छुआछूत और उन्हें देशद्रोही के रूप देखा गया। आज के समय में भी धार्मिक समुदायों के बीच बढ़ती खाई, उग्रवाद और कट्टरवाद हावी हो रहा है तब हमें गांधी जी के उन मुलभूत सिद्धान्तों को अपनाना चाहिये जिससे एक ऐसा समाज बने जिसे गांधी जी ने कल्पना की थी। इसके लिए गांधी जी के विचारों, उनके सिद्धांतों को व्यावहारिक जीवन में अपनाने के साथ ही उसकी तलाश भी जारी रहनी चाहिए। यह तलाश आज के समय में और भी ज़रूरी और प्रासंगिक हो चुकी है। इस तलाश का कोई अंत नहीं....।

(व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। ये जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Gandhi Jayanti Special, Dr Asif Umar
OUTLOOK 02 October, 2021
Advertisement