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02 May 2020

स्वास्थ्य कर्मियों को सुविधाएं देने में सरकार विफल, एम्स डॉक्टर एसोसिएशन ने उठाए सवाल

File Photo

डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण इन कोरोनायोद्धाओं को हतोत्साहित कर रहा है। ये अपने साथ-साथ परिवार को लेकर भी चिंतित हैं। अखिल विज्ञान आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आदर्श प्रताप सिंह ने कहा है कि कई अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों को बुनियादी सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करने में सरकार विफल रही है। दिल्ली सरकार ने विभिन्न सरकारी अस्पतालों के निदेशकों को ऐसे डॉक्टरों से लिखित स्पष्टीकरण लेने के लिए कहा है, जो कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। डॉक्टरों से यह पूछा गया है कि पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विमेंट (पीपीई), सुरक्षित दूरी और अन्य सावधानियों का पालन करने के बावजूद वे कैसे संक्रमित हो गए। एसोसिएशन ने इस कदम को असंवेदनशील बताया है और सरकार के सामने दस मांगें रखी हैं।

पीपीई की कमी और गुणवत्ता: कई कोविड-19 अस्पतालों में, स्वास्थ्य कर्मियों के पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) नहीं है। कुछ अस्पतालों में पीपीई की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सरकार इसका संज्ञान ले।

नॉन-कोविड रोगियों के इलाज करने वाले डॉक्टरों के पास पीपीई नहीं: मरीज नॉन-कोविड वार्डों में भी अनजाने में संक्रमण लाते हैं और डॉक्टर इससे संक्रमित होते हैं। इस परिस्थिति में पीपीई हर डॉक्टर के लिए जरूरी है।  

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डॉक्टरों के लिए सुरक्षित आवास: कई स्वास्थ्य कर्मियों का इस वक्त घर जाना जोखिम भरा है। क्योंकि वे कम्युनिटी ट्रांसमिशन के कारण संक्रमित हो सकते हैं। उन्हें अस्पतालों के करीब सुरक्षित स्थानों पर आवास की आवश्यकता है।

टेस्टिंग की संख्या कम: अधिक टेस्टिंग से डॉक्टरों का जोखिम कम होगा, क्योंकि इससे अधिक संक्रमितों की पहचान हो सकेगी।

कोविड-19 रोगियों का अधिक समय तक उपचार: स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या अपर्याप्त है। इसलिए एक कर्मचारी को अधिक समय तक कोविड रोगियों की निगरानी करनी होती है। इससे उनके संक्रमित होने का खतरा है।

संक्रमण की रोकथाम और प्रशिक्षण में कमी: इस संक्रमण को रोकने के लिए कई जिलों में स्वास्थ्य कर्मचारियों को बेहतर प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा। तत्काल प्रशिक्षण उन्हें खुद को और दूसरों को बचाने में मदद कर सकता है।

काम के बोझ से तनाव और चिंता: उचित सुविधाओं और देखभाल के बिना लोगों द्वारा स्वास्थय कर्मियों पर हमला तनावपूर्ण है। वे इससे हतोत्साहित हो रहे हैं।

सामाजिक उत्पीड़न और हमला: स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का कानून होने के बावजूद उन्हें सामाजिक उत्पीड़न झेलना पड़ रहा है। एक योद्धा के रूप में देखने की बजाय उन्हें एक खतरे के रूप में देखा जाता है और परेशान किया जाता है।

स्वास्थ्य सेवा में अधिक निवेश: यह समय है जब सरकार को कोविड-19 जैसी महामारी से लड़ने के लिए बुनियादी ढांचे और क्षमता को बढ़ाने के लिए और अधिक निवेश करने की जरूरत है।

प्राइवेट प्रैक्टिशनर को काम पर वापस लाएं: सरकारी स्वास्थ्य कर्मी ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स ने अपने क्लीनिक और डिस्पेंसरी बंद कर दी हैं। सरकारी अस्पतालों का बोझ कम करने के लिए उन्हें अपने क्लिनिक शुरू करने को कहा जाना चाहिए।

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TAGS: Coronavirus Pandemic, AIIMS Delhi Doctors, Sound Alarm Bells, Against Govt Apathy
OUTLOOK 02 May, 2020
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