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22 January 2020

केंद्र की सुप्रीम कोर्ट में याचिका- मृत्यु दंड पाने वालों को फांसी के लिए 7 दिन का समय तय हो

मौत की सजा पाने वाले कैदियों को फांसी देने के लिए सात दिन की समय सीमा तय करने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की इस याचिका को निर्भया गैंगरेप केस में मृत्यु दंड पाने वाले दोषियों को सजा देने में हो रही देरी को देखते हुए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

निर्भया केस में याचिकाओं के चलते फांसी में देरी

2012 में निर्भया के साथ गैंग रेप के बाद हत्या किए जाने के मामले में चार लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन पुनर्विचार, निवारक और दया याचिकाएं दायर किए जाने के कारण दोषियों को सजा देने में लगातार विलंब हो रहा है।

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याचिका, डेथ वारंट की समय सीमा तय हो

गृह मंत्रालय की याचिका में पुनर्विचार याचिकाएं खारिज होने के बाद निवारक याचिकाएं दायर करने के लिए समय सीमा तय करने की मांग की गई है। सरकार ने मांग की है कि सक्षम अदालत से जारी डेथ वारंट प्राप्त करने के बाद मौत की सजा पाए अपराधी को दया याचिका दायर करने के लिए सिर्फ सात दिन का समय दिया जाए।

दूसरे दोषियों की याचिका लंबित होने पर भी फांसी दी जाए

गृह मंत्रालय ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट सभी सक्षम अदालतों, राज्य सरकारों, जेल अधिकारियों को आदेश दे कि दया याचिका खारिज होने के बाद सात दिन के भीतर मौत की सजा पाने वाले अपराधी का डेथ वारंट जारी करें और उसके सात दिन के भीतर अपराधी को फांसी की सजा दें, भले ही उसके सह अपराधी की पुनर्विचार, निवारक और दया याचिकाएं लंबित हो।

निर्भया केस में याचिका खारिज की थी

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंग रेप और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए एक दोषी की याचिका 20 जनवरी को खारिज कर दी थी। उसने दिल्ली हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कोर्ट ने अपराध के समय नाबालिग होने के दावे को खारिज करते हुए कहा था कि वह नई याचिका दायर करके मामले पर दोबारा प्रतिवाद नहीं कर सकता है।

दूसरी बार जारी हुआ डेथ वारंट

निर्भया गैंग रेप और हत्या के मामले में विनय शर्मा (26 वर्ष), अक्षय कुमार सिंह (31), मुकेश कुमार सिंह (32) और पवन (26) को याचिकाएं लंबित होने के कारण 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया नहीं जा सका था। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इन चारों को एक फरवरी को फांसी देने के लिए नए डेथ वारंट जारी किए थे।

23 वर्षीय पेरामेडिकल छात्रा निर्भया (प्रचलित नाम) के साथ 16-17 दिसंबर 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह लोगों द्वारा गैंग रेप किया गया और बाद में हत्या कर दी गई। उसके शव को सड़क पर फेंक दिया गया था। दिल दहला देने वाली इस घटना से आक्रोशित लोगों ने पूरे देश में जोरदार प्रदर्शन और आंदोलन किया था।

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TAGS: death row, Supreme Court, Nirbhaya case, MHA
OUTLOOK 22 January, 2020
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