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20 September 2015

राज्य प्रायोजित आतंकवाद का नतीजा थी बटला हाउस मुठभेड़- शमसुल इस्लाम

आउटलुक

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में  बटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की सातवीं बरसी पर रिहाई  मंच ने ’सरकारी आतंकवाद और वंचित समाज’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसे दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, इतिहासकार और रंगकर्मी शमसुल इस्लाम ने भी संबोधित किया।

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बटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड का जिक्र करते हुए शमसुल इस्लाम ने कहा कि आज सत्ता द्वारा अपने आतंक को औचित्यपूर्ण ठहराने के लिए ’राष्ट्रीय सुरक्षा’ जैसे एक जुमले का प्रयोग किया जा रहा है। वह अन्याय के सारे सवाल को राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर दफन करना चाहती है। वह किसी को भी मार डालने, आतंकित करने, उत्पीडि़त करने का एक अघोषित हक रखने लगी है और यह सब काम राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किया जाने लगा है। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर आम जनता को लूटने का खेल चलता है वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उत्पीड़न के खिलाफ आवाम का मुंह बंद किया जाता है।
आज मोदी के समर्थक यह भूल जाते हैं कि देश की केवल 31 फीसदी आवाम ने ही उन्हें वोट किया है। यह बात मोदी के जन विरोधी फैसलों को वैधानिक करने के लिए की जाती है। जो इस भ्रम को बेनकाब कर रहे हैं उन्हें मारा जा रहा है दाभोलकर, पनसरे और कालुबर्गी की हत्या इसी का नतीजा थी। प्रो. शमसुल इस्लाम ने यह भी कहा कि आज राज्य सत्ता जिसे आरएसएस संचालित कर रही है, आम हिंदुओं के खिलाफ है। आरएसएस का आम हिंदुओं से, उसकी समस्याओं से कुछ भी लेना देना नहीं है। यही बात मुसलमानों के हित संवर्धन का दावा करने वालों से भी है। उन्हें आम मुसलमान की समस्याओं और उसकी बेहतरी के सवाल से कुछ भी लेना देना नहीं है।

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सेमिनार में प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि देश के 55 फीसद हिंदू भाजपा को अपनी पार्टी नहीं मानते हैं। इनके चरित्र में पूंजीवाद की सेवा है और ये आम आदमी के पक्के शत्रु हैं। चाहे वह कांग्रेस हो या फिर भाजपा,  पूंजीवाद की दलाली इनके चरित्र में बसी है। यहीं नहीं, मीडिया ने आतंकवाद का मीडिया ट्रायल किया। उन्होंने कहा कि हम संजरपुर गए थे और उन परिवारों के लोगों की इलाके में बड़ी इज्जत है। 

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TAGS: बाटला हाउस, शमसुल इस्लाम, फर्जी मुठभेड़, सातवीं बरसी, रिहाई मंच, batla house, fake encounter, ramesh dixist, anti people
OUTLOOK 20 September, 2015
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