Advertisement
15 December 2020

15 दिसंबर/ जामिया हिंसा के एक साल: बोले छात्र, “जिंदा बचूंगा उम्मीद नहीं थी, काले दिन को कभी नहीं भूल सकता”

फाइल फोटो/ पीटीआई

“इंटर्नशिप के बाद करीब ढाई बजे मैं अपने कुछ मित्रों के साथ जामिया की न्यू रिडिंग हॉल में पढ़ने के लिए गया था। सब कुछ ठीक चल रहा था। तभी अचानक लाइब्रेरी के बाहर पुलिस बड़ी संख्या में खड़ी हो गई। पांच बजे से साढे पांच बजे का समय रहा होगा। पुलिस ने सबसे पहले लाइब्रेरी के सीसे तोड़े फिर चार आंसू गैस के गोले लाइब्रेरी के अंदर दागे। पूरा हॉल धुआं से भर गया। सामने कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।“ ग्रेजुएशन के छात्र आदर्श उस दिन को याद करते हुए एक साल बाद भी कांप उठते हैं।

15 दिसंबर को हीं नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया कैंपस में दिल्ली पुलिस ने कैंपस के भीतर लाठीचार्ज किए थे। यहां तक की बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों ने लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों पर भी लाठियां बरसाई थी। जिसमें 150 से अधिक छात्र घायल हुए थे। इससे पहले 13 दिसंबर को भी राजघाट के लिए निकाले जाने वाले प्रदर्शन को पुलिस ने गेट नंबर एक पर रोक दिया था। जिसके बाद जमकर रोड़ेबाजी हुई थी। पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले भी दागे गए थे।

आउटलुक से बातचीत में आगे आदर्श बताते हैं, “जो भी छात्र लाइब्रेरी के मेन गेट से बाहर निकल रहे थे, उसे पुलिस बेरहमी से पीट रही थी। हम कुछ छात्र स्टडी टेबल के नीचे छुप गए। लेकिन, उस समय मुझे लगा कि मैं जिंदा नहीं बचूंगा जब आंसू गैस का एक गोला उसी टेबल के नीचे आकर फटा। आंख से कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। कितनी जलन हो रही थी बता नहीं सकता। मैं तो उस प्रोटेस्ट में शामिल भी नहीं था।अंदर का सीसा तोड़कर हमलोग करीब 200 छात्र दूसरे फ्लोर पर जाकर छुपे। कुछ दिनों तक आधी रात को नींद में भी वो मंजर दिखाई देने लगता था।“

Advertisement

केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए सीएए को लेकर उस वक्त देशभर में प्रदर्शन हो रहे थे। इसे लेकर जामिया के छात्रों ने भी हल्ला बोल दिया था। लेकिन, छात्रों का कहना है कि 15 दिसंबर को निकाली गई रैली में जामिया के छात्र नहीं थे। ये रैली विधायक अमानतुल्लाह खान और अन्य लोगों के द्वारा जामिया नगर से निकाली गई थी। लेकिन, आगे न्यू फ्रेंड्स कॉलनी जाते-जाते प्रदर्शन अनियंत्रित हो गया। दिल्ली पुलिस का जामिया हिंसा को लेकर कहना रहा है कि रैली से कुछ असमाजिक तत्व कैंपस में घुसे थे इस कारण से पुलिस को यूनिवर्सिटी प्रशासन की बिना इजाजत के प्रवेश करना पड़ा।

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर एक अन्य छात्र चंदन इस साल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया हैं। उस दिन को लेकर वो बताते हैं, “जिस तरह का दृश्य हमारे सामने था उससे हम यही कह सकते थे कि आज पुलिस रक्षक नहीं भक्षक के रूप में खड़ी थी। टेलीविजन पर हिंदुस्तानी-पाकिस्तानी सुना था। लेकिन, पुलिस ने मुझे गाली देते हुए पाकिस्तानी और आंतकवादी कहा था। हमले में मेरे सर फटे थे। इस काले दिन को कभी नहीं भूल सकता।“

सीएए हिंसा के बाद यूनिवर्सिटी की रैंकिंग काफी बेहतर हुई है। इस वक्त एनआईआरएफ की रैंकिंग में जामिया दिल्ली यूनिवर्सिटी से भी आगे दसवें पायदान पर है। जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालयों की श्रेणी में 90 अंक के साथ पहले पायदान पर है। आउटलुक से बातचीत में जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर कहती है, “हमें पुरानी बातों को छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। आज हम सबसे टॉप पर हैं और ये गर्व की बात है। कोर्ट से उम्मीद है कि इंसाफ मिलेगा। इसके लिए हमारी तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है। हमलावर हम नहीं थे। जो थे उन्हें सजा मिलेगी। जो छात्र घायल हुए थे उनको यूनिवर्सिटी का पूरा सहयोग है।“

एलएलएम के छात्र मोहम्मद मिन्हाजुद्दीन ने इस हमले में अपनी एक आंखें खो दी है। अब उन्होंने पीएचडी में दाखिला ले लिया है। वीसी नजमा अख्तर कहती हैं, “हमने उन्हें प्रोत्साहित किया है कि आप इस पढ़ाई को पूरा कर न्याय प्रणाली का हिस्सा बनें और खुद के साथ हुए नाइंसाफी के लिए लड़े और दूसरों के लिए मॉडल बनें। हम बुराई को अच्छाई से हीं जीत सकते हैं और जामिया इसी तर्ज पर बहुत आगे बढ़ रही है। इसमें केंद्र का भी सहयोग मिल रहा है।“

सीएए के जरिए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शर्णार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान बनाया है। वहीं, विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि ये संविधान का उल्लंघन है। धर्म के आधार पर हम नागरिकता नहीं दे सकते हैं।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: 15 दिसंबर, जामिया हिंसा, जामिया मिलिया इस्लामिया, जेएमयू, 15 December, Jamia violence, Jamia Millia Islamia, JMU, जामिया लाइब्रेरी, Neeraj Jha, नीरज झा
OUTLOOK 15 December, 2020
Advertisement