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11 October 2022

झारखंडः अदालत को करना पड़ा आंदोलन का सामना तो हाई कोर्ट ने लिया स्‍वत: संज्ञान, हाजिर हुए डीजीपी व मुख्‍य सचिव, यह थी वजह

सरकारों को आये दिन आंदोलनों का सामना करना पड़ता है मगर अदालत को आंदोलन का सामना करना पड़े ऐसा मौका शायद ही आता हो। झारखंड के लातेहार जिला में जब अदालत को उसके खिलाफ उग्र विरोध का सामना करना पड़ा तो हाई कोर्ट ने स्‍वत: संज्ञान लिया।
शांति के दूत माने जाने वाले महात्‍मागांधी के अनुयायी माने जाने वाले टाना भगतों ने सोमवार को लातेहार जिला व्‍यवहार न्‍यायालय का घेराव कर हिंसक प्रदर्शन किया। अदालत परिसर को करीब पांच घंटे तक कब्‍जे में रखा। बल प्रयोग कर पुलिस ने उन्‍हें हटाने की कोशिश की तो टाना भगतों ने गुलेल, पारंपरिक हथियार और ईंट पत्‍थरों से हमला बोल दिया। पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा, हवाई फायरिंग की गई और अश्रु गैस के गोले भी छोड़ने पड़े। जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों सहित अनेक टाना भगत घायल हुए। खबर राजधानी तक पहुंचने पर हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए राज्‍य सरकार से रिपोर्ट तलब किया और मंगलवार को मुख्‍य सचिव और पुलिस महानिदेशक को अदालत में हाजिार होने को कहा। जिला जज ने भी हाई कोर्ट को घटना की जानकारी दी। मंगलवार को मुख्‍य सचिव और पुलिस महानिदेशक मुख्‍य न्‍यायाधीश डॉ रविरंजन और न्‍यायमूर्ति एसएन प्रसाद की अदालत में हाजिर हुए। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने घटना पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे पुलिस और इंटेलिजेंस के फेल्‍योर का मामला कहा। मुख्‍य सचिव और डीजीपी से घटना के संबंध में विस्‍तृत रिपोर्ट तलब किया। वहीं महाधिवक्‍ता राजीव रंजन ने अदालत से कहा कि सरकार ने घटना को गंभीरता से लेते हुए अदालत परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी है।
यह थी वजह
संविधान की पांचवीं अनुसूची का हवाला देकर टाना भगत संघ कोर्ट कचहरी को बंद करने की मांग कर रहे थे। पहड़ा व्‍यवस्‍था लागू करने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि यहां न अदालत की जरूरत है न पुलिस की। इसे अवैध बता रहे थे। उग्र प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों ने पीसीआर वैन व कोर्ट मैनेजर की गाड़ी को भी क्षतिग्रस्‍त कर दिया। पूर्व में टाना भगत पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्र में पंचायत चुनाव का भी विरोध जता चुके हैं। अगस्‍त के अंत में लातेहार के महुआडांड़ में पांचवीं अनुसूची का हवाला देकर बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश को वर्जित करने का बोर्ड लगाया था और प्रखंड कार्यालय में भी ताला जड़ दिया था। बता दें कि रांची से सटे जिला खूंटी में भी पांचवीं अनुसूची के हवाले संविधान की अपने स्‍तर से व्‍याख्‍या कर बाहरी लोगों के गांव में प्रवेश और पुलिस प्रशासन का विरोध होता रहा है।

खूंटी के अनेक गांवों में आज भी पांचवीं अनुसूची के हवाले बाहरी लोगों के प्रवेश को वर्जित करने संबंधी शिला लेख मिल जायेंगे जिन्‍हें आदिवासियों की परंपरा पत्‍थलगड़ी का नाम दिया जाता है। हालांकि खूंटी के मामले में पुलिस प्रशासन की समझ रही है कि अफीम की अवैध खेती करने वाले ऐसे आंदोलन को हवा देते रहे हैं ताकि पुलिस प्रशासन वहां तक न पहुंचे। खूंटी में हर साल करीब डेढ़-दो हजार एकड़ जमीन में अफीम की फसल को पुलिस नष्‍ट करती है। ग्रामीणों के समर्थन का नतीजा है कि चार-पांच साल पहले खूंटी में करीब डेढ़ सौ पुलिस फोर्स सहित पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों को रात भर बंधक बनाये रखा था। लातेहार के मामले में भी पुलिस प्रशासन को अंदेशा है कि किसी साजिश के तहत इस आंदोलन को हवा दी जा रही है। समझदारी से मामले को नहीं सुलझाया गया तो यहां भी नये उग्र आंदोलन की आग भड़क सकती है।

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OUTLOOK 11 October, 2022
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