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26 March 2017

गुजरात शिवसेना नेता की हत्या के तीन दोषियों की उम्रकैद बरकरार

न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा कि हत्या के हथियार तेजधार वाले चाकू की बरामदगी से सभी संदेहों से परे उनकी हत्या की पुष्टि हुई है और उच्च न्यायालय के फैसले में किसी दखल की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा, यह तथ्य है कि आरोपियों की पहचान हो गई है और आरोपी नं. एक से बरामद साक्ष्य से इसमें कोई संदेह नहीं होता कि सभी याचिकाकर्ताओं ने मृतक को रास्ते से हटाने के एक ही मकसद से हत्या को अंजाम दिया था। साथ ही पीठ ने कहा, मौजूदा अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है और हमें उच्च न्यायालय के फैसले में दखल का कोई कारण नजर नहीं आया इसलिए यह अर्जी खारिज की जाती है।

चार जुलाई 2004 को पांच लोग शिवसेना के तालुका अध्यक्ष रमेशभाई प्रजापति के घर जबरन घुस गए थे। घटना के वक्त रमेशभाई पत्नी और बच्चों के साथ सो रहे थे। आरोपियों ने उनकी गर्दन पर तेजधार चाकू से हमला किया जिसके चलते उन्हें गहरी चोट आईं थी। घटना की गवाह प्रजापति की पत्नी थीं क्योंकि चीख पुकार सुनकर उनकी नींद खुल गई थी और उन्होंने घटनास्थल से भागते लोगों को देखा था। निचली अदालत ने समूह का नेतृत्व करने वाले सोएबभाई यूसुफभाई भरानिया सहित चार व्यक्तियों को हत्या और दंगे का दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि मृतक के छोटे भाई ने इन व्यक्तियों के विरोध के बावजूद एक खास समुदाय की महिला से विवाह किया था। बहरहाल, निचली अदालत ने पांच आरोपियों में से एक उमरभाई को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था।

चारों दोषियों ने गुजरात उच्च न्यायालय में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी जिसने इनमें से एक को बरी करते हुए तीन व्यक्तियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। शीर्ष अदालत ने इन अर्जियों को खारिज करते हुए कहा कि प्रजापति की हत्या के इरादे से ही ये व्यक्ति उनके घर में घुसे में थे, जिन्हें उनकी पत्नी ने देखा भी था।

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TAGS: सुप्रीम कोर्ट, शिव सेना, गुजरात, supreme court, shiv sena, gujrat
OUTLOOK 26 March, 2017
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