Advertisement
27 August 2018

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सुरक्षा पर खर्च का विवरण देने से सीआईसी का इनकार

File Photo

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की सुरक्षा पर खर्च का विवरण देने से इनकार कर दिया है। सीआईसी ने अमित शाह के सुरक्षा घेरे पर हुए खर्च का ब्योरा नहीं दिए जाने के पीछे आरटीआई कानून के 'निजी सूचना' और 'सुरक्षा' संबंधी छूट वाले प्रावधानों का हवाला दिया।

दरअसल, आयोग ने याचिकाकर्ता की अपील को खारिज कर दिया, जिसने किसी व्यक्ति को सुरक्षा घेरा प्रदान करने संबंधी नियमों के बारे में पूछा था। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, दीपक जुनेजा नामक व्यक्ति ने 5 जुलाई, 2014 को आवेदन किया था, जिस समय शाह राज्यसभा के सदस्य नहीं थे। उन्होंने उन लोगों की सूची मांगी थी, जिन्हें सरकार ने सुरक्षा प्रदान कर रखी है।

जुनेजा ने कहा, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को जुलाई 2014 से गृह मंत्रालय ने जेड प्लस श्रेणी का सुरक्षा घेरा प्रदान कर रखा है, जबकि वह किसी संवैधानिक या वैधानिक पद पर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह जनता का धन है, इसलिए उन्हें इसके बारे में जानने का हक है।

Advertisement

 

तो इसलिए गृह मंत्रालय ने नहीं दी सूचना

 

गृह मंत्रालय ने धारा 8 (1) (जी) का हवाला देते हुए सूचना देने से मना कर दिया जो किसी व्यक्ति की जान या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाली जानकारी को उजागर करने से छूट प्रदान करती है। 

 

व्यक्तिगत सूचना देने से छूट की ये है धारा

 

मंत्रालय ने आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (जे) का भी उल्लेख किया, जो ऐसी सूचना देने से छूट प्रदान करती है जो व्यक्तिगत है, निजता के अनुचित उल्लंघन को बढ़ावा देती है और जिसका किसी सरकारी गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है। सीआईसी ने इस मामले में अपने पिछले आदेश में सूचना नहीं दिए जाने की व्यवस्था को कायम रखा था, क्योंकि संसद के समक्ष इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

 

हाईकोर्ट ने सीआईसी के आदेश को रद्द किया था

 

जुनेजा ने सीआईसी के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी, जहां न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने सूचना आयोग के इस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आयोग को पहले इस बात का अध्ययन करना था कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी को आरटीआई कानून की धारा 8 (1) की उपधाराओं (जी) और (जे) के तहत छूट प्राप्त है या नहीं। 

 

अपीलकर्ता ने दी थी ये दलील

कोर्ट ने मामले को फिर सीआईसी को भेज दिया। आयोग ने फिर जुनेजा और गृह मंत्रालय का पक्ष सुना। सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद ने आदेश में कहा कि जुनेजा ने दलील दी थी कि जिन प्रतिष्ठित लोगों की जान को खतरा है, उन्हें सुरक्षा घेरा प्रदान करने की जिम्मेदारी सरकार की है, जहां लाभार्थी उच्च पद पर है और खतरे की आशंका के चलते जरूरी कामकाज नहीं कर सकता।

हालांकि, अपीलकर्ता ने कहा कि निजी लोगों को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा का खर्च सरकारी खजाने से नहीं किया जाना चाहिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Security expenses, BJP chief, Amit Shah, can't be disclosed, CIC
OUTLOOK 27 August, 2018
Advertisement