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23 June 2017

भारतीय प्रधानमंत्री जितने बड़े सुधारवादी दिखते हैं, उतने हैं नहीं: दी इकॉनोमिस्ट

पत्रिका दी इकॉनोमिस्ट के नवीनतम अंक के कवर पेज पर छपी तस्वीर

दी इकॉनोमिस्ट ने पीएम मोदी पर की गई अपनी कवर स्टोरी में नोटबंदी की आलोचना की और नोटबंदी को विकास विरोधी और कारोबार विरोधी करार दिया है। दी इकॉनोमिस्ट ने लिखा है कि नोटबंदी से वैध कारोबारियों को जितनी दिक्कतें हुई हैं, उतनी तो काले धंधे वालों को भी नहीं हुई है। साथ ही एक सप्ताह बाद लागू होने जा रहे जीएसटी (वस्तु और सेवाकर) को बेवजह जटिल और लालफीताशाही वाला कानून बताया है।

इसके अलावा पत्रिका में छपी आवरण कथा में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए थे तो लोगों की राय बंटी हुई थी कि क्या वे एक आर्थिक सुधारवादी के भेस में हिंदू कट्टरपंथी हैं या फिर इसके उलट हैं। तीन सालों में अब यह बात साफ हो गई है। पत्रिका के मुताबिक समय-समय पर मोदी ने धार्मिक भावनाओं को बढ़ावा दिया है। इस संदर्भ में फायर ब्रांड हिंदूवादी योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाने का हवाला दिया गया है।

दी इकॉनोमिस्ट ने लिखा है, “ डर इस बात का है, यदि इकॉनोमी में दिक्कत आती है तो मोदी सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देकर अपनी लोकप्रियता बरकरार रख सकते हैं।” कवर स्टोरी में कहा गया है कि  मोदी सरकार के पास पिछले कुछ दशकों का सबसे प्रचंड बहुमत है और विपक्ष पूरी तरह पस्त है, फिर भी वे बड़े स्तर पर आर्थिक सुधार नहीं कर सकी है। साथ ही पत्रिका ने हाल ही में मोदी सरकार के मीडिया पर कार्रवाई करने को लेकर भी सवाल उठाए हैं। पत्रिका ने पीएम मोदी को “सुधारवादी” से ज्यादा “अंध-राष्ट्रवादी”  बताया है। 

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TAGS: the economist magazine, pm narendra modi, the economist criticises pm modi
OUTLOOK 23 June, 2017
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