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11 September 2017

‘भेदभाव’ की शिकायत लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 100 से ज्यादा आर्मी अफसर

पद संभालते ही नवनियुक्‍त रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को एक नई तरह की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।  सेना के 100 से ज्यादा लेफ्टिनेंट कर्नल और मेजर रैंक के अफसर प्रमोशन में कथित 'भेदभाव और नाइंसाफी' के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।

इन अफसरों ने अपनी याचिका में कहा है कि सेना और केंद्र सरकार के इस कृत्य (प्रमोशन में भेदभाव) से याचियों और अन्य के साथ नाइंसाफी हुई है, इससे अफसरों के मनोबल पर बुरा असर पड़ता है जिससे देश की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है।

द इकोनॅामिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेफ्टिनेंट कर्नल पीके. चौधरी की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट में डाली गई संयुक्त याचिका में अफसरों ने कहा है कि सर्विसेज कोर के अफसरों को ऑपरेशनल एरियाज में तैनात किया गया है। कॉम्बैट ऑर्म्स कोर के अफसरों को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अपनी वकील नीला गोखले के जरिए पूछा है कि कॉम्बैट ऑर्म्स के अफसरों को जिस तरह का प्रमोशन दिया जा रहा है, उससे उन्हें (याची) क्यों वंचित किया जा रहा है।

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सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि याचिकाकर्ताओं ने कहा है, जब तक प्रमोशन में समानता न लाई जाए तब तक सर्विसेज कोर के अफसरों को कॉम्बैट ऑर्म्स के साथ तैनात न किया जाए।

याचिका में कहा गया है, सेना और सरकार दोहरा मापदंड अपना रही है। ऑपरेशन एरियाज में तैनाती के वक्त तो सर्विसेज कोर के अफसरों को 'ऑपरेशनल' के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन जब बात प्रमोशन की आती है तो उन्हें 'नॉन-ऑपरेशनल' मान लिया जाता है। यह याचियों और दूसरे मिड-लेवल आर्मी अफसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

अफसरों ने अपनी याचिका में कहा है कि सिग्नल्स जैसे दूसरे कोर के अफसरों को तैनाती के वक्त 'ऑपरेशनल' जैसा माना जा रहा है। ऑपरेशनल एरियाज में तैनाती के बाद वे उन सभी कामों को करते हैं जिन्हें ऑपरेशनल कोर के अफसर करते हैं, ऐसे में उनके साथ भेदभाव क्यों हो रहा है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि वह सरकार और सेना को आदेश दे कि कॉम्बैट सर्विसेज को भी सेना के दूसरे रेगुलर कोर की तरह ही देखा जाए।

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TAGS: Over 100 Army officers, Supreme Court, discrimination
OUTLOOK 11 September, 2017
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