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11 November 2019

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का निधन, अहम चुनाव सुधारों के लिए हमेशा किए जाएंगे याद

File Photo

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार को निधन हो गया। 87 वर्ष के शेषन ने कार्डियक अरेस्ट के बाद चेन्नै में अंतिम सांस ली। भारत के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का पूरा नाम तिरुनेल्‍लैै नारायण अय्यर शेषन था। वह 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक इस पद पर रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं-अफसरों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

टीएन शेषन का जन्म 15 दिसंबर 1932 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था। टीएन शेषन ने 1990 से लेकर 1996 तक मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभाला था। इस दौरान उन्होंने भारतीय चुनाव प्रणाली में कई बदलाव किए। मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत भी भारत में उन्हीं के द्वारा की गई थी। 1996 में उन्हें रैमन मैग्‍साॅयसाॅय अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। साल 1997 में शेषन ने राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उनको जीत नहीं मिली थी। शेषन को के. आर. नारायण के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। रिटायर होने के बाद टीएन शेषन ने देशभक्त ट्रस्ट की स्थापना की और समाज सुधार में सक्रिय भूमिका निभाते रहे।

इन पदों पर भी रहे

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शेषन ने मद्रास के क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएट की पढ़ाई की थी और वहीं पर कुछ समय के लिए लेक्चरर भी रहे। टीएन शेषन ने ऊर्जा मंत्रालय के डायरेक्टर, अंतरिक्ष विभाग के संयुक्त सचिव, कृषि विभाग के सचिव, ओएनजीसी के सदस्य समेत क अहम पदों पर अपनी सेवाएं दीं। भारतीय नौकरशाही के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर काम करने के बावजूद वो चेन्नै में यातायात आयुक्त के रूप में बिताए गए दो वर्षों को अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय मानते थे।

जब अपराधियों को दी थी चेतावनी

1992 के उत्तर प्रदेश चुनाव में शेषन ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों, पुलिस अफसरों और 280 पर्यवेक्षकों से कह दिया था कि एक भी गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अखबारों में छपी कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब एक रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा था- ‘हम एक दयाविहीन इंसान की दया पर निर्भर हैं।’ सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही शेषन ने करीब 50,000 अपराधियों को ये विकल्प दिया था कि या तो वो अग्रिम जमानत ले लें या खुद को पुलिस के हवाले कर दें।

 मतदाता पहचान पत्र की शुरुआत की

चुनाव में पहचान पत्र का इस्तेमाल शेषन की वजह से ही शुरू हुआ। शुरुआत में जब नेताओं ने यह कहकर विरोध किया कि भारत में इतनी खर्चीली व्यवस्था संभव नहीं है तो शेषन ने कहा था- अगर मतदाता पहचान पत्र नहीं बनाए, तो 1995 के बाद देश में कोई चुनाव नहीं होगा। कई राज्यों में तो उन्होंने चुनाव इसलिए स्थगित करवा दिए, क्योंकि पहचान पत्र तैयार नहीं हुए थे।

हिमाचल के राज्यपाल को शेषन की वजह से पद छोड़ना पड़ा

1993 में हिमाचल के तत्कालीन राज्यपाल गुलशेर अहमद बेटे का प्रचार करने सतना पहुंच गए। अखबारों में तस्वीर छपी। गुलशेर को पद छोड़ना पड़ा। लालू प्रसाद यादव को सबसे ज्यादा जीवन में किसी ने परेशान किया, तो वे शेषन ही थे। 1995 का चुनाव बिहार में ऐतिहासिक रहा। लालू, शेषन को जमकर लानतें भेजते। कहते- शेषनवा को भैंसिया पे चढ़ाकर के गंगाजी में हेला देंगे। बिहार में चार चरणों में चुनाव का ऐलान हुआ और चारों बार तारीखें बदली गईं। यहां सबसे लंबे चुनाव हुए।

 

 

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TAGS: Chief Election Commissioner, TN Seshan, 86, cec
OUTLOOK 11 November, 2019
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