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05 January 2023

पारसनाथ पर राज्‍यपाल के बाद मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया हस्‍तक्षेप, केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को लिखा पत्र

विश्‍व में जैन धर्मावलंबियों के सबसे महत्‍वपूर्ण, पवित्र धार्मिक स्‍थल सम्‍मेद शिखर, पारसनाथ को पर्यटन स्‍थल घोषित किये जाने पर उठे विवाद पर झारखंड के राज्‍यपाल रमेश बैस के बाद मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने हस्‍तक्षेप किया है और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है। देश में चारों तरफ उठ रही विरोध की आवाज के बाद 22 दिसंबर को राज्‍यपाल ने भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर कहा कि यह मामला जैन समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, उनकी भावनाओं को आहत न पहुंचे, इस दृष्टि से उनकी आस्था को ध्यान में रखते हुए इस विषय की पुनः समीक्षा व पुनर्विचार किया जाना चाहिए ताकि इस पवित्र स्थल की पवित्रता को ठेस न पहुंचे और पारसनाथ पर्वतराज व मधुवन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाय। राज्‍यपाल के पत्र लिखे जाने के बाद विरोध के स्‍वर और तीव्र होते गए।

देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में जैन धर्मावलंबियों, संतों ने सड़क पर उतर पर प्रदर्शन किया तो कई सांसदों ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर पर्यटन स्‍थल की सूची से बाहर करने का आग्रह किया। अब मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार की अधिसूचना पर समुचित निर्णय लेने का किया आग्रह किया है। अपने पत्र में हेमंत सोरेन ने जैन अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से कहा है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल है। मान्यता के अनुसार इस स्थान पर जैन धर्म के कुल 24 तीर्थकरों में से 20 तीर्थकरों द्वारा निर्वाण प्राप्त किया गया है। इस स्थल के जैन धार्मिक महत्व के कारण भारत एवं विश्व के कोने-कोने से जैन धर्मावलंबी इस स्थान का तीर्थ करने आते हैं। अतएव झारखण्ड पर्यटन नीति 2021 में पारसनाथ को तीर्थ स्थल मानते हुए इस स्थल को धार्मिक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित करने का उल्लेख है। पूर्व में भी इस स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने हेतु राज्य सरकार द्वारा प्रतिबद्धता जारी किया गया है।

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क्षेत्र के विकास और सुचिता पर सरकार का ध्यान

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्थल के समुचित विकास एवं इस क्षेत्र में व्यावसायिक क्रियाकलापों के विनियमन हेतु राज्य सरकार द्वारा सचिव, पर्यटन की अध्यक्षता में पारसनाथ पर्यटन विकास प्राधिकार गठित है, जिसमें 6 गैर सरकारी निदेशकों को भी सदस्य बनाया जाना है। उक्त प्राधिकार में गैर सरकारी निदेशकों के चयन की कार्रवाई चल रही है। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा उक्त स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखने हेतु गिरिडीह जिला के जिलाधिकारी एवं आरक्षी अधीक्षक को आवश्यक निर्देश जारी किया गया है तथा जारी किये गये निर्देश के आलोक में इस स्थल पर पुलिस गश्ती बढ़ाते हुए इस स्थल की पवित्रता व सुचिता को बनाये रखना सुनिश्चित किया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर हो विचार

मुख्यमंत्री ने आग्रह पूर्वक कहा है कि वर्तमान में कई जैन अनुयायियों द्वारा इस स्थल की पवित्रता व सुचिता बनाये रखने एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 को निरस्त करने हेतु आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस अधिसूचना के कंडिका 2.3 (VI) व कंडिका 3 3 ) में पर्यटन सहित पारिस्थितिक पर्यटन का उल्लेख है, जिसपर जैन समुदाय को आपत्ति होने का उल्लेख प्राप्त आवेदनों में दर्ज है। राज्य सरकार जैन धर्मावलंबियों की भावनाओं का संपूर्ण सम्मान करती है एवं उक्त स्थल की पवित्रता अक्षुण्ण रखने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है। अतः उक्त अधिसूचना के कंडिका 2.3(VI) व कंडिका 3(3) के क्रियान्वयन के निमित्त राज्य सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया गया है। अतः अनुरोध है कि जैन अनुयायियों से प्राप्त अनुरोध के आलोक में उनके धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधिसूचना संख्या का०आ० 2795 (अ) दिनांक 02.08.2019 के संदर्भ में समुचित निर्णय लेने की कृपा की जाए।

राज्‍यपाल ने पत्र में कहा

22 दिसंबर को राज्यपाल रमेश बैस ने भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर कहा कि झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इसे 2019 में वन्य जीव अभयारण्य का एक भाग घोषित कर इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत रखा गया। झारखण्ड सरकार द्वारा इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया। आजकल इस पवित्र स्थल में मांस-मदिरा समेत अन्य कई प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन की शिकायतें भी आ रही हैं। यह पवित्र स्थल दुनिया भर में जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और उनके 24 में से 20 तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) स्थल है तथा यह पूरे विश्व के जैन समाज के लोगों की आस्था से जुड़ा है। पार्श्वनाथ को राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर जैन समाज का मानना है कि इससे यहां की पवित्रता भंग होगी। इस संदर्भ में कई ज्ञापन प्राप्त हुए और उनसे जबलपुर, दमोह, उदयपुर, आगरा और अन्य जगहों से जैन समाज के कई प्रतिनिधि मिलने आये और उन्होंने इस पर अपनी आपत्ति प्रकट की। इस संदर्भ में विश्व जैन संगठन द्वारा 26 मार्च 2022, 6 जून 2022, 2 अगस्त 2022 और 11 दिसम्बर 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन ‘श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन’ के नाम से किया गया। राज्यपाल ने कहा कि यह मामला जैन समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, उनकी भावनाओं को आहत न पहुंचे, इस दृष्टि से पारसनाथ पर्वतराज व मधुवन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाय।

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TAGS: Chief Minister Hemant Soren, Governor on Parasnath, wrote a letter, Union Environment and Forest Minister
OUTLOOK 05 January, 2023
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