Advertisement
30 January 2018

अटॉर्नी जनरल ने सरकार को दी सलाह, बोफोर्स मामले में न दाखिल करे विशेष अनुमति याचिका

अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल. फाइल.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सरकार को सलाह दी है कि सीबीआई को बोफोर्स तोप सौदा  मामले में उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका नहीं दायर करनी चाहिए क्योंकि इसके खारिज किये जाने की संभावना है।

पीटीआई के मुताबिक, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को हाल में लिखे एक पत्र में वेणुगोपाल ने कहा है कि जांच एजेंसी को शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित ऐसे ही एक अन्य मामले में अपना रुख पेश करना चाहिए।

इस मामले में भी सीबीआई एक पक्षकार है। सीबीआई ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के 31 मई 2005 के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर करना चाहती है। उस आदेश में यूरोप में बसे हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ सभी आरोप निरस्त कर दिए गए थे।

Advertisement

डीओपीटी ने सीबीआई के इस अनुरोध पर अटॉर्नी जनरल से राय मांगी थी कि उसे विशेष अनुमति याचिका दायर करने की अनुमति दी जानी चाहिए। डीओपीटी के सचिव को लिखे पत्र में वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘अब 12 साल से अधिक वक्त गुजर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मौके पर दायर की जाने वाली किसी भी जनहित याचिका के मेरी राय में काफी विलंब हो जाने के मद्देनजर खारिज किये जाने की संभावना है।’’

उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड किसी महत्वपूर्ण घटना या विशेष परिस्थिति का खुलासा नहीं करते हैं जिसे कानून के तहत दी गई 90 दिन की अवधि के भीतर या विगत इतने वर्षों में किसी भी समय उच्चतम न्यायालय से संपर्क नहीं कर पाने का पर्याप्त कारण बताया जा सके।

उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘यह गौर करने वाली बात है कि मौजूदा सरकार तीन साल से अधिक समय से सत्ता में है. इन परिस्थितियों में अदालत से संपर्क करने में लंबे विलंब को संतोषजनक ढंग से स्पष्ट करना मुश्किल होगा।’’ वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित फौजदारी अपीलों में प्रतिवादी है। ये निजी हैसियत से (अजय कुमार अग्रवाल और राजकुमार पांडेय) ने दायर की थीं जिसमें उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘इसलिए मामला अब भी बरकरार है और सीबीआई के लिये उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिये अवसर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। सीबीआई को सलाह होगी कि वह इतनी देरी के बाद अपनी तरफ से एसएलपी दायर करने का जोखिम लेने की जगह लंबित मामलों में प्रतिवादी के तौर पर अपना पक्ष रखे।’’

एसएलपी को खारिज किए जाने से शीर्ष अदालत में पहले से लंबित अपीलों में प्रतिवादी के तौर पर भी उसके रुख के लिये नुकसानदेह हो सकता है। सीबीआई ने अटॉर्नी जनरल की राय की एक प्रति को लोक लेखा समिति की रक्षा मामलों की उप समिति से साझा किया है। इस उप समिति के अध्यक्ष बीजद सांसद भर्तृहरि माहताब हैं। यह उप समिति बोफोर्स सौदे पर कैग की 1986 की एक रिपोर्ट के कुछ पहलुओं का अनुपालन नहीं किये जाने पर विचार कर रही है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: CBI, SC, Attorney General, Venugopal
OUTLOOK 30 January, 2018
Advertisement