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24 July 2018

अलवर मॉब लिंचिंग पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, गौरक्षक होता है शांति का पुजारी

ANI

राजस्थान के अलवर में गौरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग पर राजनीति गरम है। रकबर उर्फ अकबर खान की मौत में पुलिस का रोल लगातार संदिग्ध होता जा रहा है। राज्य के गृह मंत्री ने मामले में न्यायिक जांच की घोषणा की है।

वहीं, इस पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कथित गौरक्षकों का बचाव किया है। उन्होंने कहा, 'गौरक्षक कभी हिंसक नहीं हो सकता। ये समाज में एक आध लोग हैं जो हिंसक हैं। जो सही में गौरक्षक है वो तो शांति का पुजारी होता है।'

मामले में कांग्रेस-भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जहां इस घटना को लेकर कहा कि यह मोदी जी का क्रूर न्यू इंडिया है वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी इस पर गिद्ध राजनीति कर रहे हैं।

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पुलिस कस्टडी में हुई रकबर की मौत?

राज्य के गृह मंत्री ने कहा है कि अभी तक के सबूतों के आधार पर पीड़ित की मौत पुलिस कस्टडी में हुई। राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा, ‘आगे की जांच जारी है। अभी तक जो सबूत मिले हैं, लगता है कस्टडी में मौत हुई है।‘

साथ ही उन्होंने कहा, ‘मैंने पीड़ित के परिवार वालों से मुलाकात की है और उन्होंने कहा है कि अभी तक की गई कार्रवाई से वे संतुष्ट हैं। मैंने उनसे कहा कि अगर वे कुछ और भी बताना चाहते हैं तो कि वे जब चाहें मुझसे मिलने आ सकते हैं।‘

उल्लेखनीय है कि अलवर में गौतस्करी के शक में हुई रकबर उर्फ अकबर खान की मौत के मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हुए हैं। आरोप है कि पुलिस ने पीड़ित को अस्पताल ले जाने के बजाय गायों को गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी। साथ ही पुलिस पर आरोप है कि उसने पीड़ित की पिटाई भी की। इस पर पुलिस का पक्ष भी सामने आया है।

स्पेशल डीजी एनआरके रेड्डी ने सोमवार को कहा कि मौके पर फैसला लेने में चूक हुई। एएनआई के मुताबिक, उन्होंने कहा कि हमारे पास अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं है कि पीड़ित को कस्टडी में पीटा गया लेकिन हां, शुरुआती जांच में हमें लगता है कि मौके पर क्या ज्यादा जरूरी था, इसका फैसला लेने में चूक हुई।

पीड़ित की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट क्या कहती है?

लिचिंग के शिकार रकबर उर्फ अकबर खान की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई है। एएनआई के मुताबिक, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर अंदरूनी चोट लगने और उसके बाद सदमे को मौत का कारण बताया गया है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि रकबर की पसलियां टूटी हुई थीं और फेफड़ों में पानी जमा हो गया था।

क्या है मामला?

रामगढ़ थाना क्षेत्र के लालवंडी गांव में गौतस्करी के आरोप में कुछ कथित गौरक्षकों ने रकबर खान नामक एक शख्स को पीट-पीटकर मार डाला था। असल में मॉब लिंचिंग के इस मामले में रकबर की मौत पर दुख जताने वाली राजस्थान की बीजेपी सरकार खुद घिरने लगी है। बड़ा सवाल है कि क्या भीड़ के साथ मिलकर पुलिस ने भी रकबर उर्फ अकबर को पीटा था और अस्पताल ले जाने के बजाए थाने में लाकर पटक दिया था? पुलिस खुद कह रही है कि रकबर ने सारी कहानी उसे बताई, जबकि डॉक्टर कह रहे हैं कि अस्पताल में वह मृत आया था।

विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने आरोप लगाया था कि हमारे कार्यकर्ताओं ने थोड़ी-बहुत पिटाई की थी, उसके बाद पुलिस ने भी पीटा। अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि पुलिस घायल को तीन बजे के बाद अस्पताल लेकर आई थी। पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि घटनास्थल से 6 किमी. की दूर अस्पताल तक पहुंचने में उसे 4 घंटे में कैसे लग गए?

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TAGS: Alwar mob lynching, Union minister, ashwini chaoubey, gau rakshak
OUTLOOK 24 July, 2018
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