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20 May 2022

नवजोत सिंह सिद्धू ने सरेंडर के लिए सुप्रीम कोर्ट से मांगा समय, स्वास्थ्य कारणों का दिया हवाला

1988 रोड रेज मामले को लेकर नवजोत सिंह सिद्धू को आज पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन अब उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इसके लिए समय मांगा है।

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कुछ "चिकित्सीय स्थितियों" का हवाला देते हुए अपने मुवक्किल को आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी को एक उचित आवेदन पेश करने और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बेंच के समक्ष इसका उल्लेख करने के लिए कहा। 

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सिंघवी ने पीठ से कहा, ‘‘निश्चित तौर पर वह जल्द ही आत्मसमर्पण करेंगे। हमें आत्मसमर्पण के लिए कुछ हफ्तों का समय चाहिए। यह (फैसला) 34 साल बाद (आया) है। वह अपने चिकित्सीय मामलों को सुव्यवस्थित करना चाहते हैं।’’

पीठ ने सिंघवी से कहा कि मामले में फैसला एक विशेष पीठ ने दिया है। पीठ ने कहा, ‘‘आप यह अर्जी प्रधान न्यायाधीश के समक्ष दाखिल कर सकते हैं। अगर प्रधान न्यायाधीश आज पीठ का गठन करते हैं तो हम इस पर विचार करेंगे। अगर पीठ उपलब्ध नहीं है तो इसका गठन किया जाएगा। उस (रोड रेज) मामले के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया गया था।’’ न्यायालय ने कहा कि एक औपचारिक अर्जी उचित पीठ के समक्ष दाखिल करनी होगी। इस पर सिंघवी ने कहा कि वह मामले का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश करने की कोशिश करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को बृहस्पतिवार को एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए कहा था कि अपर्याप्त सजा देने के लिए किसी भी ‘‘अनुचित सहानुभूति’’ से न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान होगा और इससे कानून पर जनता का भरोसा कम होगा।

शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को 65 वर्षीय व्यक्ति को ‘जानबूझकर चोट पहुंचाने’ के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन उन्हें केवल 1,000 रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया था। शीर्ष अदालत ने बृहस्पतिवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि संबंधित परिस्थितियों में भले ही आपा खो गया हो, लेकिन आपा खोने का परिणाम तो भुगतना होगा।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ ने सिद्धू को दी गई सजा के मुद्दे पर पीड़ित परिवार द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका स्वीकार कर ली थी। उसने कहा कि मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस नेता पर केवल जुर्माना लगाते समय ‘सजा से संबंधित कुछ मूल तथ्य’ छूट गए।

यह उल्लेख करते हुए कि हाथ भी अपने आप में तब एक हथियार साबित हो सकता है, जब कोई मुक्केबाज, पहलवान, क्रिकेटर, या शारीरिक रूप से बेहद फिट व्यक्ति किसी व्यक्ति को धक्का दे, शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका मानना है कि सजा के स्तर पर सहानुभूति दिखाने और सिद्धू को केवल जुर्माना लगाकर छोड़ देने की आवश्यकता नहीं थी।

पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘...हमें लगता है कि रिकॉर्ड में एक त्रुटि स्पष्ट है.... इसलिए, हमने सजा के मुद्दे पर पुनर्विचार आवेदन को स्वीकार किया है। लगाए गए जुर्माने के अलावा, हम एक साल के कठोर कारावास की सजा देना उचित समझते हैं।’’

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TAGS: 1988 road rage case, Navjot Singh Sidhu, time, SC to surrender
OUTLOOK 20 May, 2022
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