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22 January 2016

'अभिव्‍यक्ति की आजादी' व 'लोकतंत्र' दो सबसे बड़े मजाक: करन जौहर

PTI

बृहस्‍पतिवार कोे अपनी जीवनी एन अनस्यूटेबल ब्वाॅय के बारे में लेखिका शोभा डे और जीवनी लिखने वाली पूनम सक्सेना से बातचीत के दौरान करन जौहर ने कहा कि आप मन की बात कहना चाहते हैं या अपनी निजी जिंदगी के राज खोलना चाहते हैं, तो भारत सबसे मुश्किल देश है। किसी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बोलने पर आपको जेल में डाला जा सकता है।

करण जौहर ने कहा कि हम ऐसे देश में हैं जहां अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में खुलकर नहीं बोल सकते हैं। 'फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन' सबसे बड़ा जोक है और डेमोक्रेसी उससे भी बड़ा मजाक है। वह एक फिल्मकार हैं लेकिन जब भी कोई फिल्में बनते हैं तो डर लगा रहता है कि किसी बात से नाराज होकर कोई लीगल नोटिस न भेज दे। यहां जयपुर से वापस जाने के बाद भी उनके खिलाफ कोई लीगल नोटिस आ सकता है। 

करण जौहर की फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' में 'जन गण मन...' को लेकर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया गया था। जिसके बाद उन्‍हें लंबी कानूनी लड़ाई से गुजरना पड़ा। इस बारे में उन्‍होंने कहा, 'मैंने फिल्म में बहुत भावुक और गर्व के साथ नेशनल एंथम शामिल किया गया था।'

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खुद को बताया एफआईआर किंग

चर्चा के दौरान करन जौहर ने समलैंगिकता, अपनी फिल्मों और शाहरुख खान के साथ अपने संबंधों को लेकर भी बेबाकी से अपने विचार रखे। समलैंगिकता के मुद्दे पर ‘दोस्‍ताना’ जैसी फिल्‍म बना चुके करन जौहर ने कहा कि एक फिल्‍म मेकर के तौर पर वह काफी बंधन महसूस करते हैं। उन्‍हें ऐसा लगता है कि उन्‍हें जैसे हमेशा लीगल नोटिस उनका पीछा करता रहता है। आमिर खान की ओर इशारा करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘मैं असहिष्‍णुता पर नहीं बोलूंगा, क्‍योंकि मैं उन लोगों का हाल देख चुका हूं, जिन्‍होंने इस पर बात की। ‘AIB रोस्‍ट’ को लेकर विवाद पर उन्‍होंने खुद को ‘एफआईआर किंग’ करार दिया।

बचपन में लड़की जैसा कहते थे लोग 

करन ने बताया कि उन्हें बचपन में पैन्सी (लड़की जैसा) कहा जाता था जो उन्हें बिल्कुल अच्‍छा नहीं लगता था। बचपन में वह थोड़ा अलग महसूस करते थे लेकिन माता-पिता उनके लिए बहुत मददगार साबित हुए। अपनी मां का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि 'जब मैं 150 किलो का था तब मेरी मां कहती थी कि तुम दुनिया के सबसे सुंदर बच्चे हो और मेरे पिता कहते थे कि एक बार मैं थोड़ा सा दुबला हो जाऊं तो मैं हिंदी फिल्मों का हीरो भी बन सकता हूं।' 

 

 

 

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TAGS: जयपुर साहित्‍य उत्‍सव, फिल्‍मकार, करन जौहर, लोकतंत्र, अभिव्‍यक्ति की आजादी, असहिष्‍णुता
OUTLOOK 22 January, 2016
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