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21 August 2015

सरकारी बैंकों में डूबते कर्ज से जेटली चिंतित

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकाें में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) यानी डूबत कर्ज अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच चुका है। इस स्थिति को ठीक करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा एनपीए के इस स्तर पर पहुंचने की वजह आंशिक तौर पर असावधानी बरतना, आंशिक तौर पर निष्क्रियता और अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्राें में उपजी चुनौतियां हैं। अर्थव्यवस्था के इन क्षेत्राें में बैंकों के ऊंचे एनपीए से ये चुनौतियां जाहिर होती हैं। 

जेटली इंडियन बैंक के स्थापना दिवस के मौके पर 109 नई शाखाओं और 109 एकमुश्त नोट स्वीकार मशीनों के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारी डूबते कर्ज के बोझ से दबे हुए हैं। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष तक उनका सकल एनपीए 2.67 लाख करोड़ रुपये था। यह पूरे बैंकिंग उद्योग के 3.09 लाख करोड़ रुपये के एनपीए का 86 प्रतिशत बैठता है।

जेटली ने भरोसा जताया है कि बैंक अगली कुछ तिमाहियों में इन चुनौतियाें को हल करने में कामयाब रहेंगे। जेटली ने कहा, एनपीए को नीचे लाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा वित्तीय स्थिति ठीक करने और एनपीए घटाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। बैंक प्रशासन कोशिश कर रहा है, सरकार और पूंजी डालने की कोशिश कर रही है, सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश के जरिये और धन जुटाने की कोशिश हो रही है। फिर ज्यादा सावधानी और विभिन्न दबाव वाले क्षेत्राें की मुश्किलों को दूर करने करने का प्रयास हो रहा है।

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TAGS: सरकारी बैंक, डूबत कर्ज, एनपीए, वित्‍त मंत्री, अरुण जेटली, अर्थव्‍यवस्‍था
OUTLOOK 21 August, 2015
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