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02 March 2015

रिजर्व बैंक की स्वायत्ता में दखल

गूगल

इस समझौते के तहत वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति की दर पर नियंत्रण बनाए रखने की जिम्मेदारी डाल दी है और अगर देश का केंद्रीय बैंक ऐसा करने में नाकाम रहता है उसे अब सरकार को इसकी रिपोर्ट भी देनी होगी। दरअसल, वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति लक्ष्य के संबंध में सहमत हो गए हैं जिसके तहत केंद्रीय बैंक खुदरा मुद्रास्फीति का लक्ष्य जनवरी, 2016 तक छह प्रतिशत से कम और मार्च, 2017 तक करीब चार प्रतिशत रखेगा।

मौद्रिक नीति ढांचा समझौते पर 20 फरवरी को हस्ताक्षर हुए जिसका लक्ष्य मुख्य तौर पर वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखकर मूल्य स्थिरता को कायम रखना है। समझौते में कहा गया है कि रिजर्व बैंक जनवरी, 2016 तक मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य रखेगा। वित्त वर्ष 2016-17 और बाद के वर्षों का लक्ष्य होगा चार प्रतिशत जिसमें दो प्रतिशत बढ़ोतरी या कमी का दायरा शामिल होगा।

समझौते में मुद्रास्फीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मौद्रिक नीति के पहलों पर फैसला करने की खुली छूट दी गई है लेकिन इसके तहत आरबीआई के लिए आवश्यक है कि यदि किसी अवधि में उक्त लक्ष्य प्राप्ति में चूक होती है तो उसे केंद्र सरकार को रपट देनी होगी। आरबीआई को हर छह महीने पर एक दस्तावेज सार्वजनिक करना होगा जिसमें मुद्रास्फीति के स्रोतों और छह से आठ महीने की अवधि के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान का ब्योरा देना होगा।

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रिजर्व बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस समझौते से सरकार को अब रिजर्व बैंक के कामकाज में दखल देने का मौका मिल जाएगा। ऊपर से देखने में भले ही ऐसा लगे यह महंगाई दर को काबू में करने का एक प्रयास है मगर हकीकत यही है कि देश में महंगाई बढ़ने के पीछे कोई एक कारण नहीं होता। विनिर्माण क्षेत्र का खराब प्रदर्शन, बाढ़ या सूख के कारण खेती प्रभावित होने, वैश्विक संकट के कारण या अन्य किसी भी वजह से मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए उसपर नियंत्रण की समय सीमा तय करना व्यावहारिक नहीं है।

गौरतलब है कि बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत से कम रखने के लिए मौद्रिक नीति के एक ढांचे पर अमल किया जाएगा। जेटली के अनुसार मुद्रास्फीति पर हमारी विजय संस्थागत हो और बरकरार रहे, इसके लिए सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मौद्रिक नीति के ढांचे के संबंध में एक समझौता किया है। इस ढांचे का लक्ष्य है मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत से नीचे रखना और हम इस साल आरबीआई अधिनियम में संशोधन की दिशा में आगे बढ़ेंगे और मौद्रिक नीति समिति का गठन करेंगे। वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी समझौते के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने दो मानदंड तय किए हैं जिसके तहत वित्त वर्ष 2015-16 की लगातार तीन तिमाहियों या बाद के वर्षों में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से अधिक रहती है या फिर यह 2016-17 की लगातार तीन तिमाहियों या बाद के वर्षों में दो प्रतिशत से कम रहती है तो आरबीआई को लक्ष्य तय करने के लिहाज से असफल माना जाएगा।

ऐसी स्थिति में केंद्रीय बैंक सरकार को एक रपट पेश करेगा जिसमें वह अपनी असफलता की वजह बताने के साथ-साथ इसमें उपचारात्मक उपाय और अनुमानित अवधि का भी जिक्र करेगा, जिसमें तय लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। दस्तावेज के मुताबिक यदि समझौते के प्रस्तुतीकरण के संबंध में कोई विवाद होता है तो यह आरबीआई गवर्नर और केंद्र सरकार के बीच बैठक के जरिये सुलझाया जाएगा।

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TAGS: वित्त मंत्रालय, रिजव बैंक, स्वायत्ता, दखल, महंगाई
OUTLOOK 02 March, 2015
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