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08 November 2018

नोटबंदी के दो साल: जब PM मोदी के एक ऐलान के बाद लाइन में लग गया था देश

File Photo

आज से दो साल पहले यानी 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की थी। इस लिहाज से यह भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक खास दिन के तौर पर दर्ज है। पीएम मोदी ने इसी दिन रात 8 बजे दूरदर्शन के जरिए देश को संबोधित करते हुए 500 और 1000 के नोट बंद करने का ऐलान किया था। उनका दावा था कि नोटबंदी के बाद कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। साथ ही, उन्होंने इसे कैशलेस (नकदी रहित) अर्थव्यवस्था और डिजिटल सोसायटी की तरफ एक बड़ा कदम बताया था। 

सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष हमेशा हमलावर रहा

हालांकि पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले से कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के दावे पर तो कोई असर नहीं नजर आया लेकिन इस फैसले से कैशलेस (नकदी रहित) अर्थव्यवस्था और डिजिटल ट्रांजेक्शन में भारी बढ़ोतरी देखी गई। सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष हमेशा हमलावर रहा। उनका कहना है कि नोटबंदी की वजह से काला धन तो वापस नहीं आया लेकिन इससे आम आदमी को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं, सरकार हमेशा इसे सफल बताती रही है।

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नोटबंदी के इन दो सालों में इसकी सफलता एवं असफलता को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हुईं और अभी भी हो रही हैं। पीएम की इस घोषणा से हर ओर अफरा-तफरी मच गई थी। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने 500 रुपये के नए नोट सर्कुलेशन में लाए, लेकिन 1,000 रुपये को पूरी तरह खत्म कर दिया गया और 2,000 रुपये के नए नोट आ गए।

नोटबंदी के ऐलान के बाद जानें कहां-कहां, कैसा पड़ा असर

99.3% पुराने नोट वापस आए

वित्त वर्ष 2016-17 की सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने बताया कि अवैध घोषित 15.44 लाख करोड़ रुपये में से 15.31 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए। यानी, अवैध घोषित कुल 99.3% नोट बैंकों में जमा कर दिए गए जबकि 10,720 करोड़ रुपये मूल्य के महज 0.7% नोटों का ही कुछ पता नहीं चल पाया।

8 नवंबर, 2016 को जब नोटबंदी का ऐलान हुआ, उस वक्त 500 रुपये को 1,716.5 करोड़ नोट जबकि 1,000 रुपये के 685.8 करोड़ नोट सर्कुलेशन मे थे। दोनों का कुल मूल्य 15.44 लाख करोड़ रुपये थी।

छपाई एवं अन्य मदों पर खर्च बढ़ा

आरबीआई ने नोटबंदी के बाद 500 रुपये और 2,000 रुपये को नए नोट छापने पर 7,965 करोड़ रुपये खर्च किए। पिछले वर्ष नोट छापने पर आधे से भी कम 3,421 करोड़ रुपये ही खर्च हुए थे। वित्त वर्ष 2017-18 में नोट छपाई पर 4,912 करोड़ रुपये खर्च हुए।

प्रिंटिंग और दूसरी लागत में वृद्धि का असर आरबीआई द्वारा सरकार को दिए जाने लाभांश पर पड़ा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 में उसकी आमदनी 23.56 प्रतिशत घट गई जबकि व्यय यानी खर्च दोगुने से भी ज्यादा 107.84 प्रतिशत बढ़ गया।

वित्त वर्ष 2017-18 में 500 और 1,000 रुपये के 2,700 करोड़ पुराने नोट नष्ट हुए। पिछले वर्ष इसकी संख्या 1,200 करोड़ थी।

सर्कुलेशन में नोट

वित्त वर्ष 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट में आरबाई ने बताया कि मार्च 2018 के आखिर तक मूल्य के लिहाज से सर्कुलेशन में 37.7 प्रतिशत नोट बढ़कर 18.03 लाख करोड़ रुपये हो गए। संख्या के लिहाज से सर्कुलेशन में बढ़े नोटों का प्रतिशत 2.1 प्रतिशत रहा। इससे पता चलता है कि नोटबंदी के पीछे डिजिटाइजेशन एवं कम-नगदी वाली अर्थव्यवस्था (लेस कैश इकॉनमी) पर जोर दिए जाने के सरकार के उद्देश्य पूरे नहीं हुए।

जाली नोटों का आंकड़ा

आरबीआई आंकड़ों के मुताबिक, 2017-18 के दौरान बैंकिंग सिस्टम में 5 लाख 22 हजार 783 जाली नोटों का पता चला। यानी, कुल नोटों में पकड़े गए जाली नोट का प्रतिशत 36.1 रहा जो 2016-17 में महज 4.3 प्रतिशत था।

तेज रफ्तार से बढ़ता डिजिटल ट्रांजैक्शन

नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में बेहद तेज वृद्धि हुई। सितंबर 2018 तक BHIM ऐप का ऐंड्रॉयड वर्जन 3 करोड़ 55 लाख जबकि आईओएस वर्जन 17 लाख डाउनलोड हो चुका था। आंकड़े बताते हैं कि 18 अक्टूबर 2018 तक भीएम ऐप से 8,206.37 करोड़ रुपये मूल्य के कुल 18 लाख 27 हजार ट्रांजैक्शन हुए।

टैक्स चोरी पर प्रहार

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त की समाप्ति पर प्राप्त कुल रिटर्न की संख्या 71% बढ़कर 5.42 करोड़ रही। अगस्त 2018 तक दाखिल आयकर रिटर्न की संख्या 5.42 करोड़ है जो 31 अगस्त 2017 में 3.17 करोड़ थी। यह दाखिल रिटर्न की संख्या में 70.86% वृद्धि को दर्शाता है।

'नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों कोे नहीं मिला ओवरटाइम का पैसा' 

नेशनल आर्गेनाईजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अशवनी राणा ने बताया कि नोटबंदी का दर्द तो सबने झेला। चाहे पब्लिक हो या व्यापारी लेकिन सबसे ज्यादा मार बैंक कर्मचारियों को पड़ी। देर रात रात तक बैंकों में काम किया, छुट्टियां नही मिली, बहुत से बैंक कर्मचारी इस कारण से बीमार भी हो गए। बैंक कर्मचारियों का पैसा कम हुआ जिसको उन्होंने अपनी जेबों से भरा लेकिन सबसे ज्यादा दुख की बात है कि 2 साल बीत जाने के बाद भी बहुत से बैंकों ने अपने कर्मचारियों को नोटबंदी के दौरान अतिरिक्त काम करने के लिए ओवरटाइम नही दिया।

ओवरटाइम तो छोड़ो बैंक कर्मचारियों का वेतन समझौता जो कि 1 नवंबर 2017 से लागू होना चाहिए था अभी तक नही हो पाया। इंडियन बैंक एसोसिएशन ने उसके लिए कई दौर की बैठकें कर ली लेकिन मात्र 6 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। जो कि बेहद कम और शर्मनाक है।

 

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TAGS: second anniversary, demonetisation, Congress, calls for nationwide protest, demonetisation, anniversary
OUTLOOK 08 November, 2018
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