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11 September 2018

एनपीए के लिए अति आशावान बैंकर व धीमी विकास दर जिम्मेदार: रघुराम राजन

File Photo

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों के बढ़ते गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के लिए अति आशावान, सरकार की नीतिगत प्रक्रिया में सुस्ती और आर्थिक विकास की धीमी प्रक्रिया जैसे कारक मुख्य रूप से जिम्मेदार रहे।

यूपीए और एनडीए सरकारों में कई तरह की शासन संबंधी समस्याएं

आकलन समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को सौंपे गए अपने जवाब में राजन ने कहा है कि यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों में कई तरह की शासन संबंधी समस्याएं थीं। मसलन, कोयला खदानों का संदिग्ध आवंटन और जांच के डर से केंद्र सरकार की धीमी नीतिगत योजनाओं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

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सरकार की नीतिगत योजनाएं पर्याप्त रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पाई हैं

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि सरकार की नीतिगत योजनाएं आज की तारीख तक पर्याप्त रफ्तार से आगे नहीं बढ़ पाई हैं। इस वजह से समय के साथ परियोजनाओं की लागत और कर्ज की राशि भी बढ़ती गई। देश में बिजली की भारी किल्लत के बावजूद बिजली संयंत्र परियोजनाएं अधर में लटकी हुई हैं।

एनपीए का बड़ा हिस्सा 2006 से 2008 के दौरान बढ़ा

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने अपने जवाब में कहा, एनपीए का बड़ा हिस्सा 2006 से 2008 के दौरान बढ़ा, जबकि उस समय आर्थिक विकास दर मजबूत स्थिति में थी। इससे पहले बिजली संयंत्रों जैसी पूर्ववर्ती अधोसंरचना परियोजनाएं समय पर और बजट के अंदर पूरी हो गई थीं। 

बैंकों ने अतीत की विकास दर और भविष्य के परफॉर्मेंस को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया

उन्होंने कहा, यह ऐसा दौर था, जब बैंकों ने बड़ी गलतियां कीं। वे अतीत की विकास दर और भविष्य के परफॉर्मेंस को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते रहे। लिहाजा, इन परियोजनाओं में अधिक से अधिक निवेश करते रहे। कई बार तो बैंक अपनी तरफ से कोई आकलन किए बगैर सिर्फ प्रमोटरों के निवेश बैंक की रिपोर्ट के आधार पर ही कर्ज देने को मंजूरी देते रहे।

उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा कि एक प्रमोटर ने मुझे बताया कि उस समय बैंक कैसे उसे मनचाही राशि भरते हुए चेक देने के लिए तैयार हो जाते थे।

बढ़ते एनपीए को लेकर संसद की आकलन समिति ने सुब्रमण्यम से मांगा था जवाब

गौरतलब है कि जुलाई में ही संसद की आकलन समिति ने बढ़ते एनपीए को लेकर पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम से जवाब मांगा था। सुब्रमण्यम ने कहा था कि इस बारे में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बेहतर जानकारी दे सकते हैं।

बैंकों ने बड़े लोन देने में सावधानी नहीं बरती जिस कारण एनपीए बढ़ता गया

डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय आकलन समिति ने राजन से इस बारे में उपस्थित होकर जवाब देने को कहा था। राजन ने अपने जवाब में कहा कि बैंकों ने बड़े लोन देने में सावधानी नहीं बरती जिस कारण एनपीए बढ़ता गया। राजन ने इसके लिए ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ को भी जिम्मेदार बताया है।

बैंकों की खराब हालत के लिए पीएम मोदी ने कांग्रेस को ठहराया था जिम्मेदार

राजन ने कहा कि बड़े बैंकों ने कर्जों पर सही तरीके से कार्रवाई नहीं की जिस कारण उम्मीद के मुताबिक फायदा नहीं हुआ। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के बैंकों की खराब हालत के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था। पीएम ने कहा था कि बैंकों के लाखों करोड़ रुपए जो एनपीए हुए हैं, बट्टेखाते में गए हैं, उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।

एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं देश के सभी बैंक 

 

इस समय देश के सभी बैंक एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं। दिसंबर 2017 तक बैंकों का एनपीए 8.99 ट्रिलियन रुपये हो गया था जो कि बैंकों में जमा कुल धन का 10.11 फीसदी है। कुल एनपीए में से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का एनपीए 7.77 ट्रिलियन है।

रघुराम राजन ने जतायी उम्‍मीद, जारी नहीं रहेगी रूपये में गिरावट

रघुराम राजन ने सोमवार को ये भी उम्मीद जताई कि रुपये में निर्बाध गिरावट जारी नहीं रहेगी क्योंकि केंद्रीय बैंक महंगाई दर को काबू में रखने के लिए उपयुक्त रूप से ब्याज दर बढ़ा रहा है।

वैश्विक व्यापार युद्ध बढ़ने की आशंका के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 72 से ऊपर निकलते हुए 72.45 के स्तर पर पहुंच गया। टेलीविजन चैनल सीएनबीसी टीवी 18 से बातचीत में कहा कि आरबीआई के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह लगातार यह संकेत दे रहा कि वह मुद्रास्फीति को काबू में रखेगा।

रुपये में निर्बाध गिरावट नहीं होगी क्योंकि अंतत: महंगाई दर काबू में होगी

राजन ने इससे निवेशकों को एक भरोसा मिलता है कि रुपये में निर्बाध गिरावट नहीं होगी क्योंकि अंतत: महंगाई दर काबू में होगी। रुपये की विनिमय दर में गिरावट को थामने के लिए एनआरआई बांड के सुझाव के बारे में राजन ने कहा कि यह एक हथियार है जो आपके शस्त्रागार में है। आरबीआई ने हाल में मुद्रास्फीति संबंधी चिंता को लेकर नीतिगत दर में दो बार वृद्धि की है।

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TAGS: Over optimistic, bankers, growth slowdown, responsible, bad loans, Raghuram Rajan
OUTLOOK 11 September, 2018
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