Advertisement
21 April 2016

जीवन के आयामों का आइना पॉल की तीर्थयात्रा

तरक्की के रास्ते पर तेज रफ्तार दौड़ते कदमों को परिवार और उसकी जिम्मेदारियां पैरों में बेड़ी का अहसास कराने लगी हैं शायद, तभी जिम्मेदारियों की जंजीरों ने तेज दौड़ते कदमों की रफ्तार सुस्त की, इंसान ने इससे भी अपना पीछा छुड़ाने का इंतजाम करना शुरू कर दिया और अब एक नए संसार की तरफ कदम बढ़ाता दिखने लगा है। जिसे सिंगल फादर या सिंगल मदर का नाम दिया जा रहा है। वह कौन से अहसास और संस्कार हैं, जिनकी बदौलत वाकई में परिवार, समाज और सभ्यता के इंद्रधनुषी रंग इंसान को अपनी जिंदगी में भरने की इच्छा फिर से पनपने लगती है। इसी पूरे सिलसिले का नाम है पॉल की तीर्थयात्रा।

डेनमार्क में रहने वाली भारतीय मूल की अर्चना ने पॉल की तीर्थयात्रा में इस विषय को बेशक किस्तों में कहे गए एक किस्से के जरिए छूने की कोशिश की है मगर उनकी इस कोशिश में दर्द की वह तस्वीर भी नजर आ जाती है जिसके दायरे से जो गुजरता है शायद उसे ही इसका अहसास हो सकता है। समझने की कोशिश भी नहीं करना चाहता और यही बात उस समाज का सबसे खास हिस्सा भी हो जाती है, जहां इन लोगों की कुंठाओं को पनाह मिलती है। यकीनी तौर पर इस पुस्तक के जरिए अर्चना पैन्यूली उन लोगों को दीक्षित करती महसूस होती है जो अपनी यादों और अपने सुख दुख की परतों में सिमटकर अपना वजूद तलाश करने की जद्दोजहद करते हैं। 

पुस्तक – पॉल की तीर्थयात्रा

Advertisement

लेखक – अर्चना पैन्यूली

प्रकाशक – राजपाल एंड संस

मूल्य – 655 रुपये

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: archna painuly, paul ki teerthyatra, shail mathur, rajpal and sons, अर्चना पैन्युली, पॉल की तीर्थयात्रा, शैल माथुर, राजपाल एंड संस
OUTLOOK 21 April, 2016
Advertisement