Advertisement
15 July 2015

प्लेटफार्म नंबर सात

वह चीखता है

पागलों की तरह

कहकहे भी लगाता है

Advertisement

ज्यादा वक्त

सिग्नल की तेज लाल रोशनी को

एकटक निहारते हुए बिताता है

थोड़ी दूरी पर बैठा हुआ एक मरियल सा कुत्ता

उसकी ओर देखते हुए पहले केंकियाता है

फिर धीरे-धीरे दुम हिलाता है

प्लेटफार्म नंबर सात का

अंधेरे में डूबा यह सिरा

उदास-गमगीन लोगों के लिए

एक ऐसा जरूरी कंधा है

जहां सिर रखकर

जी भर रोया जा सकता है

दूर लैंपपोस्ट के नीचे बैठा

अंधा भिखारी

बांसुरी बजा रहा है

हौले-हौले

एक पुरी दुनिया

लय से बाहर हो रही है...।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: anwar shamim, kavita, girani mai naach, yah mousam patangbazi ka nahi hai, अनवर शमीम, कविता, गिरानी में नाच, यह मौसम पतंगबाजी का नहीं है
OUTLOOK 15 July, 2015
Advertisement