Advertisement
16 January 2016

कृष्ण भक्ति का रंग कथक से संग

कथा कहे सो कथक कहाए लेकिन जब बात छोटी मोटी कथा-कहानियों से आगे निकलती है तो ‘हरि हो..गति मेरी‌‌’ जैसी कथक कोरियोग्राफी देखने को मिलती है। शुक्रवार की शाम दिल्ली के श्री राम सेंटर में मशहूर कथक नृत्यागंना, गौरी दिवाकर और सूफी कवियों, गीतकारों ने ऐसा समां बांधा कि हॉल तालियों से गूंजता रहा। 

 

‘हरि हो ..गति’ अपने आप में अलग है ।  हरि हो हरि हो हरि हो ..गति मेरी ...ये पंक्तियां मुबारक अली बिलग्रामी की लिखी हैं । बिलग्रामी इस्लाम के अनुयायी थे लेकिन उन्होंने हरि में अपनी गति, अपनी मुक्ति ढूंढी। मुबारक अलि बिलग्रामी  उस परंपरा का हिस्सा थे जहां दूसरे धर्मों को मानने के बावजूद कवियों ने कृष्ण भक्ति में गीत रचे और पद लिखे । गौरी दिवाकर की प्रस्तुति ‘हरि हो गति मेरी’‌ इस्लाम को मानने वाले कवियों की रचनाओं पर आधारित है।

Advertisement

 

इस कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार करने वाले संजय नंदन का कहना है कि आज के दौर में ये जानना बेहद जरुरी है कि इसी देश में कई ऐसे लोग हुए हैं जो बेशक सजदा मस्जिद में करते थे साथ ही साथ कृष्ण भक्ति में नज्म भी लिखा करते थे । हसरत मोहानी, सैय्यद मुबारक अली बिलग्रामी , मियां वाहिद अली , मल्लिक मोहम्मद जायसी ऐसे ही कुछ नाम हैं । ‘हरि हो...‌गति मेरी‌‌’ के प्रीमियर में भारी भीड़ और तालियों की गूंज से लगा कि आपसी समझ और विरासत की सांझेदारी का भाव हमारे रगों में हैं ।

 

‘मोही तोही राही (राधा) अंतर नाहिं....जइस दिख पिंड परछाहीं’ ( मल्लिक मोहम्मद जायसी ) । इसका अर्थ है कि कृष्ण राधा को कह रहे हैं कि तुममें और मुझमें कोई अंतर नहीं है। ठीक उसी तरह जैसे ज्योति पिंड और उसकी परछाई एक होती है लेकिन गहराई में जाएं तो परमात्मा स्वयं अपने भक्तों से कह रहे हैं कि तुममें और मुझमें कोई अंतर नहीं है। मैं और तुम एक ही हैं, तुम मुझे ढूंढ़ते हुए मुझ में खुद ही खो जाओगे। इस तरह के गहन भाव को गौरी दिवाकर ने बहुत सहजता से मंच पर प्रस्तुत किया।  

गौरी दिवाकर की चर्चा कई सालों से कथक की बेहद प्रतिभावान नृत्यागंना के तौर होती रही है । गुरु बिरजू महाराज, जयकिशन महराज और अदिति मंगलदास की तालिम का असर उनकी प्रस्तुति में दिखाई देता है लेकिन "हरि हो गति मेरी" की प्रस्तुति के बाद ये कहना होगा कि वह नृत्य को अध्यात्म तक ले जाने में सक्षम हैं। इसकी पीछे नृत्य संयोजन , कोरियोग्राफी का भी अहम हाथ है। अदिति मंगलदास की कोरियोग्राफी कभी सहज नहीं होने देती। इस प्रस्तुति में गौरी दिवाकर के साथ तबले पर योगेश गंगानी, पखावज पर आशीष गंगानी ने साथ दिया। पढ़ंत पर मोहित गंगानी थे और इसका संगीत समीउल्ला ने तैयार किया था।   

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: कृष्ण और राधा, दिल्ली, श्री राम सेंटर, कोरियोग्राफी, कथक, गौरी दिवाकर, संजय नंदन
OUTLOOK 16 January, 2016
Advertisement