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05 March 2015

कला संस्थाओं का बजट घटाया

एनएसडी

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मध्यम वर्ग को वैसे ही नसीहत दे दी है कि इस वर्ग को अपना खयाल खुद रखना होगा। जिन लोगों को यह नसीहत नहीं दी है, उनमें और भी ऐसी संस्थाएं हैं जिन्हें अपना खयाल खुद रखना होगा। इन संस्थाओं में साहित्य अकादमी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय भी है। सुपर बजट हैशटैग के साथ सोशल मीडिया पर इसके खूब चर्चे हैं। लेकिन दरअसल थिएटर की जनता को सरकार ने कुछ देना गवारा नहीं समझा।

बिजनेज स्टैंडर्ड में एक लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें इस और ध्यान दिलाया गया है। साहित्य अकादमी और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय इस बजट में बहुत प्रभावित हुए हैं। उनका बजट आवंटन क्रमशः 21.93 प्रतिशत से घटाकर 9.76 प्रतिशत और 43.03 प्रतिशत से घटाकर 13.45 प्रतिशत कर दिया गया है। धन के लिहाज से देखा जाए तो उनके बजट में 54 प्रतिशत और 44 प्रतिशत की कटौती की गई है।

जबकि टीवी एलईडी टीवी और आधुनिक तकनीकों से लैस टीवी को सस्ता कर दिया गया है, जिस पर हम सरकार के विज्ञापन देख सकते हैं। अब कोई उसे कितना भी बुद्धू बक्सा कहता है तो कहता रहे। जब आपके घर हाइ-डेफीनेशन का टीवी होगा और उस पर रंग-बिरंगे कपड़ों में सजी बहुएं रोज आएंगी, शाहरूख-सलमान खान घर बैठे दिखाई देंगे तो फिर ‘नौटंकीवालों’ की किसे परवाह है।

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लेकिन एक बात अच्छी है, टेलीविजन पर इतिहास आधारित धारावाहिकों को चाहे कितना भी तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता हो और सरकार को इसकी परवाह न हो पर भारतीय पुरतत्व सर्वेक्षण के लिए करीब 50 करोड़ का बजट मिला है। यहां तक कि माननीय वित्त मंत्री जी ने कहा है, ‘हमें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों को बेहतर बनाने की जरूरत है। सरकार आठ स्थलों पर पुनर्नवीकरण का काम शुरू करेगी।’ यह तो सच है पुरानी इमारतों की मरम्मत जीवित कलाकार से ज्यादा जरूरी है। कलाकारों का क्या है, वे कल भी जी रहे थे आज भी जी ही लेंगे।  

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TAGS: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, साहित्य अकादमी, कटौती, बजट
OUTLOOK 05 March, 2015
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